
प्रस्तावना:
कपालिनी पिशाचिनी हमारे हिंदू धर्म में कई सारी देवियों की पूजा की जाती है उन्हीं में से एक है कपालिनी पिशाचिनी माता जो की देवी मां का ही रूप है यह शमशान, और तांत्रिक शक्तियों की स्वामिनी मानी जाती है। इन्हें खोपड़ियों की देवी भी कहा जाता है ।
कपालिनी पिशाचिनी माता वह देवी है जो हमें क्रोध ,अहंकार और भय से दूर ले जाती है और इनका रूप बहुत उग्र (गुस्से वाला होता है। जहां आम लोग जाने से डरते हैं वहां पर इनका निवास होता है।आइए जानते हैं माता कपालिनी पिशाचिनी के बारे में उनके अनेकों नाम ,कहानियां ,रहस्य, चमत्कार, तांत्रिक साधना , मंत्र ,पूजन विधि, और उनके मंदिर कहाँ- कहाँ स्थित है।
कपालिनी माता की उत्पत्ति:
सभी देवी देवताओं में कपालिनी एक उग्र रूप है कपालिनी शब्द काल से आया है और काल का अर्थ समय है। हिंदू समाज के अनुसार देवी माता को बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में जाना जाता है उन्हें भयंकर और शक्तिशाली रूप में पूजा जाता है देवी कपालिनी में शक्तियो का समावेश है जो ऊर्जा ,रचनात्मक और वृद्धि का प्रतीक मन जाती है ।
कपालिनी शब्द का अर्थ:
कपाल’ का अर्थ होता है खोपड़ी और ‘नी’ का मतलब है उसे पहनने वाली इसका अर्थ है । वह जो खोपड़ी की माला को पहनती है उसे कपालिनी कहते है । कपालिनी पिशाचिनी माता को अहंकार , मृत्यु की देवी के नाम से जाना जाता है इनकी पूजा रात के समय की जाती है और उनकी पूजा शांति और मोक्ष की प्राप्ति के लिए करी जाती है।
कपालिनी पिशाचिनी माता का जन्म:
बहुत पुराने समय की बात है जब अन्याय अधर्म बहुत बढ़ गया था हर तरफ नकारात्मक ऊर्जा खेल रही थी तब पृथ्वी के साधारण लोग ही नहीं बल्कि देवी देवता भी भूत प्रेत , राक्षसों से परेशान हो गए थे और पृथ्वी पर इन दानवो का बहुत ज्यादा अत्याचार बढ़ गया था कोई भी ऐसी शक्ति नहीं थी जो इनको मार सके या उन पर नियंत्रण कर सके तब भगवान शिव जो योग तंत्र के स्वामी है उन्होंने ध्यान में बैठकर समाधि में एक बहुत विशेष शक्ति को जागृतकिया कपालिनी पिशाचिनी माता साधारण देवी नहीं है बल्कि अंधकार की महारानी जाती है जो भाग को अंधकार से बाहर निकाल देती है।
ऐसा कहा जाता है कि कपालिनी पिशाचिनी माता का जन्म शमशान में एक अघोरी की तांत्रिक साधनाओं से हुआ जब बहुत अत्याचार बढ़ गया था बलि और भस्म से वातावरण भर गया था तब अघोरी की तांत्रिक शक्तियो से और शिव के आशीर्वाद से मां कपालिनी पिशाचिनी प्रकट हुई।उनके प्रकट होते ही चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा और प्रकाश फैल गया जो की सकारात्मक वातावरण को दर्शा रहा था और बुराई को चीरता हुआ आगे बढ़ रहा था मां के शरीर पर भस्म लगी हुई थी उनके गले में खोपड़ियों की माला थी और उनकी आंखें अग्नि जैसी जल रही थी भूत प्रेत से और उन्हें पराजित कर सकती थी और सही राह पर लेकर आ सकती थी।
शिव ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि वह मृत्यु शमशान और अहंकार की अधिष्ठात्री देवी होगी। उन साधकों की रक्षा करेगी जो तंत्र साधना और सत्य की राह पर चलते होंगे मां ने राक्षसों ओर पिशाचको को कहा कि जो मेरे भक्तों को कष्ट देंगे मैं उनका अंत कर दूंगातब से माँ कपालिनी पिशाचिनी को श्मशानवासिनी, पिशाचों की अधिपति, और भय को खत्म करने वाली देवी के रूप में पूजा जाने लगा।

कपालिनी पिशाचिनी माता का स्वरूप:
मां कपालिनी पिशाचिनी का शरीर सामान्य देवियों की तरह नहीं होता है, उनका स्वरूप बहुत रहस्यमई और भयंकर है। लेकिन इस चीज से भक्तों को कोई डर नहीं यह उग्र स्वभाव केवल बुराई के लिए है। माता का स्वरूप,
1.रूप उनका गहरा कला और नीला है।
2.त्रिशूल ,तलवार, गधा,धनुष , चक्र और अन्य अस्त्र शास्त्र है।
3.आभूषण में देखे तो उनके गले में मानव खोपड़ियों की माला है ।
1.शरीर पर राख(भस्म)-
माता को शमशान की देवी कहां जाता है। उनके पूरे शरीर पर शमशान की भस्म लगी रहती है। जिससे यह पता चलता है की मां को सांसारिक सुंदरता से कोई मतलब नहीं वह केवल भक्तों की सहायता के लिए सदैव प्रस्तुत रहती है।
2. गले में खोपड़ियों की माला-
माता कपालिनी पिशाचिनी के गले में खोपड़ी की माला टांगी रहती है, और इससे उनका रूप बहुत भयानक दिखाई देता है इससे पता चलता है की माता को सांसारिक श्रृंगार की कोई आवश्यकता नहीं।
3. तीन आंखें –
मां के तीन आंखें होती है जिससे कि पता चलता है कि वह ज्ञान शक्ति और दृष्टि की देवी है दो आंखें सामान्य है और तीसरी आंख मध्य में है मस्तिष्क पर जिससे की मां भूत- भविष्य, सत्य – असत्य को देख सकती है।
4.हाथों में वस्तुएं –
माता के एक हाथ में त्रिशूल होता है जो की बुराई का नाश करने के लिए है ।एक हाथ में खोपड़ियों का प्याला है जिससे वे साधक को अमृत प्रदान करती हैं।एक हाथ में जलता हुआ मार्शल है जो कि अंधकार को मिटा कर उजाला ले आता है ।और एक हाथ में मुद्राएं हैं जो की आशीर्वाद देने के लिए होती है।
5.माता के वस्त्र-
माता के वस्त्र साधारण माताओ की तरह रंग-बिरंगे नहीं होते हैं वह ज्यादातर लाल काला और राख से लिपटा हुआ वस्त्र ही पहनते हैं इससे यह पता चलता है की माता को बाहरी सामाजिक सुंदरता से कोई मतलब नहीं है।
6.माता के साथ कौन रहते हैं –
साधारण लोग नहीं रहते बल्कि भूत प्रेत पिशाच इन ही के बीच उनका रहना होता है जहां पर कोई नहीं आता जाता यह सभी मां के अधीन होते हैं और साधक की रक्षा करते हैं जब कोई मां के पास आता है तो माता के मन में प्रेम ममता रहती है ।
कपालिनी पिशाचिनी माता के प्रमुख मंत्र और उनके अर्थ:
1. बीज मंत्र:
ॐ क्रीं कपालिन्यै नमः”
अर्थ – हे माता मैं आपके चरणो में प्रणाम करती / करता हूं मुझे अपने चरणों में जगा दे और भूत प्रेत ,बुरी शक्तियो और अंधकार से मुझे बचा कर रखें।
2. रक्षा मंत्र:
“ॐ कपालमालिन्यै पिशाचिन्यै नमः”
अर्थ – हे माता आप खोपड़ियों की माला पहनने वाली है मुझे हर बुरी शक्तियों से बताइए और शक्ति दीजिए।
3. तांत्रिक साधना मंत्र:
“ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कपालिनी पिशाचिन्यै नमः”
अर्थ – हे मां कपालिनी आप ज्ञान रहस्य और शक्तियों की देवी हो तांत्रिक साधना सफल करे।
यह मंत्र बहुत ऊंची साधना के लिए किया जाता है।
ऐं = ज्ञान की देवी सरस्वती का बीज
ह्रीं = शक्ति और ऊर्जा
क्लीं = आकर्षण और वशीकरण
4. भूत-प्रेत से मुक्ति हेतु मंत्र:
“ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कपालिनीपिशाचिन्यै नमः”
अर्थ – हे माता कपालिनी मुझे भूत प्रेत जैसी बुरी शक्तियों से बचाए।
मंत्र जाप की विधि:
मंत्र का जाप करने के लिए शांत स्थान हो , इसे सुबह या शाम के वक्त एकांत में करें।
माता की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक या फिर अगरबत्ती लगाकर करें।
माता का पाणिनि के मंत्र का जब 11 21 या 108 बार किया जाता है।
माता के उग्र व्यवहार भक्तों के लिए नहीं है के डेयर नहीं पूरी श्रद्धा भक्ति और विश्वास के साथ उनसे प्रार्थना करें।
अमावस्या और कपालिनी माता के साधना के लाभ:
अमावस्या की रात को श्मशान, सुनसान जगह, या घर पे सुनसान स्थान में साधना करना शुभ माना जाता है। अमावस्या की रात में चांद बिलकुल दिखाई नहीं देता है यह दिन अंधेरी सुनसान और रहस्यमई रात होती है इस दिन ऊर्जा बहुत तेज रहती है और तांत्रिक शक्तिया बहुत जल्दी सफल होती है अमावस्या की रात में कपालिनी पिशाचिनी माता की साधना बहुत प्रभावशाली मानी जाती है यह समय भीतर की शांति और डर को भगाने के लिए होता है।
वातावरण ऊर्जा से भरा होने के कारण इस दिन ध्यान या मंत्र का फल जल्दी मिलता है। इस दिन भूत प्रेत की शक्तियां अधिक होती है लेकिन मन की साधना से यह हम इन बुरी शक्तिया हमसे दूर रहती है। मां की कृपा से साधक का डर खत्म हो जाता है और आत्म बल बढ़ता है।
ॐ क्रीं कपालिन्यै नमः” – अमावस्या की रात को इस मंत्र का 108 बार जाप करना बहुत शुभ माना गया है जिससे कि हमारी हर मनोकामना पूरी होती है ।
कपालिनी पिशाचिनी के नाम और उनका महत्व:
कपालिनी पिशाचिनी माता के आने को नाम है जैसे, कपालिनी माता, पिशाचिनी देवी, शमशान वासिनी ,रक्त प्रिया ,अघोर तारा ,कालरात्रि, तामसी काली।
1.कपालिनी माता- यह उनका असली और सबसे खास नाम है, जिसका मतलब है: जो खोपड़ियाँ पहनती हैं या साथ रखती हैं।
2.पिशाचिनी देवी – इसका मतलब है जो भूत भूत प्रेत को भी अपने वश में कर लेती है।
3.श्मशानवासिनी– इसका मतलब है: जो मिशन में रहकर पूजा करें वह शमशान वास में कहलाती है।
4.रक्तप्रिया– इसका मतलब है: जिसे लाल रंग पसंद हो और बलिदान पसंद हो ।
5.अघोरतारा– इसका मतलब है: जो गुप्त और कठिन पूजा में सबसे बड़ी देवी मानी जाती है और वो अघोरतारा कहलाती है।
6.कालरात्रि– इसका मतलब है: जो माता सच्चाई की हमेशा रक्षा करती है लेकिन जो काली रात की तरह दिखाई देती है ।
7.तामसी काली — इसका मतलब है: जो काली माता का गुस्से वाला और रहस्यमई रूप है।

माँ के प्रमुख मंदिर और साधना स्थल:-
1. श्मशान क्षेत्र – काशी, उत्तर प्रदेश
स्थान विशेष: मणिकर्णिका और हरिश्चंद्र घाट के पास जो शमशान है ।
विशेषता:
साधक वाराणसी में काली भैरव और कपटी में माता की साधना करते हैं काशी को मृत्यु का मोक्ष द्वारका कहा जाता है। यहां पर कपालिनी माता की तांत्रिक साधना बहुत प्रसिद्ध है।
2. कामाख्या मंदिर, असम
स्थान विशेष: नीलांचल पर्वत, गुवाहाटी
विशेषता:
कामाख्या मंदिर में कई योगिनियों और पिशाचीनियों की तांत्रिक साधनाएं की जाती है यहां पर भी साधना बहुत प्रसिद्ध है। और कामाख्या देवी स्वयं भी एक शक्तिपीठ है
3. तारा पीठ, पश्चिम बंगाल
स्थान विशेष: वीरभूम ज़िला, पश्चिम बंगाल
विशेषता:
यह स्थान मां तारा का है मां तारा भी कपाली ने पिशाचिनी माता की तरह गुस्से वाली (उग्र) स्वभाव की है । यहां पर लोग भैरव रवि और कपड़े में साधना के लिए आते हैं यह स्थान भी तांत्रिक साधना के लिए प्रसिद्ध है।
4. अवन्तिकापुरी (उज्जैन), मध्य प्रदेश
स्थान विशेष: महाकाल मंदिर के पास के श्मशान क्षेत्र, कालभैरव स्थान
विशेषता:
उज्जैन मैं भी भैरव साधना और कपालिनी साधना की जाती है उज्जैन मैं भी तांत्रिक ऊर्जा है। सड़क संस्थानों में बैठकर रात्रि के समय तांत्रिक साधना करते हैं और मां का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
5. त्रिकूट पर्वत – झारखंड
स्थान विशेष: त्रिकूट पर्वत और उसके आसपास के वन क्षेत्र
विशेषता: यहां के गहरे जंगलों में तांत्रिक साधक अपनी साधना एकांत में करते हैं।
6. चिंतपूर्णी- (हिमाचल प्रदेश)
विशेष रूप: यहां पर माता चिंतपूर्णी के रूप में एक शक्ति पीठ है जहां पर तांत्रिक साधक अपनी साधना को पूरी करते हैं। कुछ लोग यहां से हिमालय पर जाकर मां का पानी पिशाचिनी की भावना करते हैं।
7. श्मशान घाट – नैमिषारण्य, उत्तर प्रदेश
स्थान विशेष: श्मशान क्षेत्र और दुर्गा स्थल
विशेषता:
यहां पर गुप्त साधना की जाती है सड़क आते हैं और कपालिनी पिशाचिनी माता की साधना गुप्त रूप से करते हैं।
8. गुप्त हिमालय क्षेत्र (उत्तराखंड, नेपाल सीमा)
विशेषता:
यहां के बर्फीले इलाकों में गहरे जंगल है जहां पर तांत्रिक साधक अपनी साधना करते है ऐसा कहा जाता है की मां कपालिनी का गुप्त पीठ भी यहां है।
कपालिनी पिशाचिनी माता के चमत्कार:
पिशाचिनी माता की साधना करने से डर है और अहंकार का नाश होता है कई साधकों ने दावा किया है की माता की साधना करते समय उन्हें कई सारे चमत्कार दिखाई दिए हैं जैसे शमशान में माता का रूप उन्होंने आज की लाफ्टर में देखा, सपनों में देखा है यह केवल बड़े-बड़े तांत्रिक साधकों को ही दिखाई देती हैं।इसके पीछे कुछ कहानियां भी सुनने को हमें मिली है
जैसे की,
1.एक बार एक तांत्रिक सड़क माता की साधना करने के लिए शमशान गया वह साधना करते-करते मंत्र भूल गया और उसे डर लगने लगा कुछ समय बाद उसने देखा कि उसके सामने एक तेजस्वी ऊर्जा वाली स्त्री प्रकट हुई जिसके गले में खोपड़ियों की माला और हाथ में त्रिशूल और उलझे हुए बाल शरीर पर भस्म लगी हुई दिखाई दी। माता ने उसे सही मंत्र बताया और कहा मेरे पर विश्वास रख तू साधना कर मैं तेरे भीतर ही हूं मुझेसे डर मत। और उसी रात उसे सड़क की साधना सिद्ध हो गई।
2.मध्य प्रदेश के एक गांव में एक आदमी को भूत प्रेत कई दिनों से परेशान कर रहे थे और उसके शरीर में प्रवेश कर गए थे उसे वह बहुत परेशान करते थे उसने कई तांत्रिकों पंडितों और डॉक्टर को बताया था लेकिन कोई भी इस परेशानी का हल नहीं निकल पा रहे थे।
लेकिन एक वृद्ध स्त्री ने उसे एक मंत्र बताया था । वह मंत्र है। (ॐ क्रीं कपालिन्यै नमः ) और उसे स्त्री में कहा कि रात के समय शमशान में जाकर वहां की राख लेकर आओ और मां को अर्पित करो वह व्यक्ति गया और रख लेकर आया मां को अर्पित की तीसरे दिन ही वह बिल्कुल स्वस्थ हो गया और फिर वह मां का भक्त बन गया और लोगों की रक्षा करने लगा।
3.एक समय की बात है झारखंड जिले के एक व्यक्ति ने 21 अमावस्या तक माता का जाप किया था मां उसकी इस साधना से बहुत प्रसन्न हुई और उसके सपने में आई सपने में आकर उन्होंने उससे कहा कि तू अब मजबूत हो गया है तुझे अब कोई हारा नहीं सकता उसके बाद से वह सड़क mentally बहुत strong होगया और लोगों को तांत्रिक सीधी प्राप्त करने में मदद करने लग गया।
निष्कर्ष:
माँ कपालिनी पिशाचिनी के मंत्र न सिर्फ तांत्रिक शक्ति जगाते हैं, बल्कि Fear, भूत-पिशाच, mental weakness और डर को भी दूर करते हैं। इनका प्रभाव तभी दिखता है जब मन पवित्र हो सच्ची श्रद्धा हो और मां के प्रति सच्चा विश्वास हो। मां कपालिनी पिशाचिनी कोई बुरी देवी नहीं है वह वबस भक्तों की परीक्षा लेती है उनका डर दूर करती है जो सच्चे मन से उन्हें पुकारते हैं वह उनकी सहायता भी करती है।
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