बगलामुखी देवी की तांत्रिक उपासना विधि और सिद्धि का रहस्य

प्रस्तावना:-

माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में से एक अत्यंत शक्तिशाली देवी हैं, जिन्हें “स्तंभन शक्ति” की अधिष्ठात्री माना जाता है। वे शत्रुओं के वाणी, बुद्धि और शक्ति को रोकने वाली देवी हैं। उनका स्वरूप पीले वस्त्रों में, पीले रंग की आभा से युक्त और कीचड़ वाले तालाब में विराजमान दर्शाया जाता है। वे वाणी और तर्क के क्षेत्र में विजय प्रदान करती है उनकी साधना से वाद-विवाद में जीत और वाणी सिद्धि प्राप्ति होती है माता बगुलामुखी की पूजा विशेष रूप से तांत्रिक मार्ग से साधको द्वारा की जाती है।

माता बगुलामुखी कैसे प्रकट हुई:-

माता बगुलामुखी की उत्पत्ति की कथा अत्यंत रहस्यमयी और तांत्रिक महत्व से भरपूर है। माता बगलामुखी दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या मानी जाती हैं। इनकी उत्पत्ति से संबंधित कथा इस प्रकार है।

एक समय की बात है, जब सम्पूर्ण ब्रह्मांड में प्रलय जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई थी। तेज आंधी, भारी वर्षा, तूफान और भूकंप जैसे दृश्य हर ओर थे। सभी देवता भयभीत होकर भगवान विष्णु के पास गए और इस स्थिति से रक्षा के लिए उपाय पूछने लगे। भगवान विष्णु ने ध्यान किया और उन्हें आकाशवाणी हुई:”तुम हिरण्यगर्भ तीर्थ जाओ, वहाँ पर एक दिव्य देवी प्रकट होंगी, वही इस संकट का समाधान करेंगी।”

भगवान विष्णु तुरंत हिरण्यगर्भ तीर्थ पहुंचे और वहाँ तपस्या करने लगे। उनकी कठोर साधना से प्रसन्न होकर माता बगलामुखी प्रकट हुईं। वे पीले वस्त्रों में, पीले आभूषणों से सजी थीं, और उनका तेज सूर्य के समान दीप्तिमान था।देवी ने कहा:”हे विष्णु! मैं समस्त तंत्रों की अधिष्ठात्री बगुलामुखी हूँ। मैं शत्रुओं की वाणी, बुद्धि और शक्ति को रोक सकती हूँ। मैं ही तंत्रविद्या की साक्षात शक्ति हूँ।”

तब माता बगुलामुखी ने अपने एक हाथ से एक राक्षस की जिव्हा पकड़ी और दूसरे हाथ से गदा उठाई। इस दृश्य का प्रतीकात्मक अर्थ यह है कि वह अपने भक्तों के शत्रुओं की वाणी और बुद्धि को निष्क्रिय कर देती हैं।

माता बगुलामुखी का नाम क्यों पड़ा?

बगुला” एक प्रकार का पक्षी होता है (बगुला/बगुली), जो एकाग्रता और ध्यान का प्रतीक है।”मुखी” का अर्थ है — स्वरूप धारण करने वाली।इसलिए, “बगुलामुखी” का अर्थ हुआ — “जो बगुले के समान गहन एकाग्रता वाली शक्ति का स्वरूप हो।”

माता बगुलामुखी की शक्ति शत्रु को वश में करना, उसकी वाणी को रोक देना, विरोधियों की बुद्धि को भ्रमित करना और न्याय दिलवाना है। विशेष रूप से तांत्रिक साधक इनकी आराधना से वाक्-सिद्धि, विरोधी नाश और वाक्-स्थंभन की शक्ति प्राप्त करते हैं।

माता बगुलामुखी के अन्य नाम:-

माता बगुलामुखी को तांत्रिक और शास्त्रीय ग्रंथों में कई अन्य नामों से भी जाना जाता है, जो उनके विभिन्न स्वरूपों, शक्तियों और कार्यों को दर्शाते हैं। नीचे माता बगुलामुखी के प्रमुख अन्य नाम दिए गए हैं:

1.पीताम्बरा देवी – पीले वस्त्र धारण करने वाली; यह उनका सबसे प्रसिद्ध नाम है।

2.स्तम्भिनी देवी – शत्रुओं की वाणी, बुद्धि और क्रिया को स्थिर (स्तंभित) करने वाली।

3.वल्गामुखी – वाणी और वाक् शक्ति को नियंत्रित करने वाली।

4.ब्रम्हास्त्र रूपिणी – जिनकी शक्ति ब्रह्मास्त्र के समान है।

5.वाक् स्तम्भिनी देवी – जो शत्रु की वाणी को स्थिर कर देती हैं।

6.शत्रु नाशिनी – जो शत्रुओं का नाश करती हैं।

7.मोहिनी शक्ति – जो शत्रु की बुद्धि को मोहित कर भ्रमित करती हैं।

8.कवचेश्वरी – जो अपने भक्तों को अदृश्य कवच प्रदान करती हैं।

9.तंत्रेश्वरी – तंत्रविद्या की अधिष्ठात्री देवी।

10.मायावी देवी – जो मायाबल से शत्रु को भ्रमित करती हैं।

इन नामों का स्मरण और जाप विशेष रूप से तांत्रिक साधना, शत्रु नाश, वाणी शक्ति, न्यायिक मामलों और आत्मरक्षा के लिए उपयोगी माना जाता है।

माता बगुलामुखी की रहस्यमई कहानियां:-

माता बगुलामुखी की रहस्यमयी कहानियाँ तंत्र, साधना और अलौकिक शक्तियों से जुड़ी होती हैं। ये कथाएँ भक्तों को यह विश्वास दिलाती हैं कि माता की उपासना से कैसे असंभव कार्य संभव हो जाते हैं और शत्रु कैसे निष्क्रिय हो जाते हैं। नीचे कुछ प्रमुख रहस्यमयी और लोकप्रचलित कहानियाँ दी गई हैं:

1.शास्त्रार्थ में विजयी ब्राह्मण की कथा:

एक बार एक विद्वान ब्राह्मण ने अनेक ग्रंथों का अध्ययन किया, परन्तु उसका आत्मविश्वास कमजोर था। वह जब भी किसी सभा में शास्त्रार्थ करता, तो घबरा जाता और हार जाता।किसी तांत्रिक के सुझाव पर उसने माता बगुलामुखी की साधना शुरू की। 21 दिन की पीतांबरा साधना के बाद जब वह सभा में गया, तो उसकी वाणी इतनी प्रभावशाली हो गई कि शास्त्रार्थ में सभी विद्वान चुप हो गए। उसकी बुद्धि तीव्र और वाणी प्रभावशाली हो चुकी थी।

2. युद्ध में विजय पाने वाला राजा:

प्राचीन काल में एक राजा को पड़ोसी राज्य से युद्ध करना पड़ा। उसकी सेना कमज़ोर थी और वह हार निश्चित मान रहा था। एक तांत्रिक ने उसे बगुलामुखी देवी का यंत्र और मंत्र सिद्ध करने की सलाह दी।

राजा ने रात्रि में गुप्त साधना की और देवी का पीताम्बरा कवच धारण किया। युद्ध के दिन, दुश्मन की सेना भ्रमित हो गई, उनके घोड़े उखड़ गए, और उनके योद्धा एक-दूसरे से लड़ने लगे। राजा ने बिना अधिक हानि के विजय प्राप्त की।

3. झूठे आरोप से बरी हुआ एक साधक:

एक साधक पर झूठा हत्या का आरोप लग गया। उसका कोई प्रमाण नहीं था, और उसे जेल भेजा गया। जेल में ही उसने माता बगलामुखी जप अनुष्ठान प्रारंभ किया। कुछ ही दिनों में चमत्कार हुआ — असली अपराधी पकड़ा गया, और साधक निर्दोष साबित होकर मुक्त हो गया।

न्यायालय में उसका विरोधी वकील अचानक भूलने लगा और लड़खड़ाने लगा — जिससे वह केस नहीं लड़ सका।

4. तांत्रिक द्वारा शत्रु का स्तम्भन:

एक प्रसिद्ध तांत्रिक साधक पर उसके शिष्यों ने ही धोखा दिया। उसने शत्रुओं को सबक सिखाने के लिए “स्तम्भन” प्रयोग किया। जिसमें माता बगुलामुखी की साधना द्वारा शत्रु की वाणी और शक्ति रोक दी जाती है।

कुछ ही दिनों में वे शत्रु सार्वजनिक रूप से बोलने और काम करने में अक्षम हो गए। बाद में उन्होंने क्षमा मांगी और गुरु के शरण में लौटे।

5. माता स्वयं प्रकट होकर रक्षा करती हैं:

एक ब्रह्मचारी साधक हिमालय की किसी गुफा में बगुलामुखी साधना कर रहा था। कुछ असुरतुल्य लोग उसे मारने आए। साधक साधना में लीन था — तभी पीली आभा से एक तेजस्विनी देवी प्रकट हुईं, उन्होंने उन लोगों को अंधा कर दिया और साधक को आदेश दिया:

“तू निर्भय होकर साधना कर, मैं तेरी रक्षक हूँ।”

इन कथाओं का उद्देश्य यह दिखाना है कि माता बगुलामुखी की साधना केवल शत्रु-विनाश के लिए नहीं, बल्कि आत्म-संयम, न्याय, और सच्चाई की रक्षा के लिए भी होती है।

माता बगुलामुखी के रूप का वर्णन:-

माता बगुलामुखी का रूप अत्यंत प्रभावशाली, रहस्यमयी और तेजस्वी है। वे न केवल सौंदर्य की प्रतीक हैं, बल्कि उनके रूप में तंत्र शक्ति, वाक् स्तम्भन और शत्रु विनाश की क्षमता भी छिपी होती है। उनका स्वरूप साधारण नहीं, बल्कि तांत्रिक प्रतीकों से भरा हुआ है। आइए उनके रूप का विस्तृत वर्णन करें:

1. वर्ण (रंग):

माता बगुलामुखी का शरीर सुनहरे पीले रंग का है, जो ब्रह्मांडीय तेज और पीत शक्ति का प्रतीक है। यह रंग बुद्धि, वाणी और तेज का प्रतिनिधित्व करता है।

2. वस्त्र और आभूषण:

वे पीले वस्त्र धारण करती हैं और पीले आभूषणों से सुसज्जित होती हैं। उनका सिंहासन भी पीले कमल पर होता है। पीला रंग विशिष्ट रूप से बगुलामुखी शक्ति से जुड़ा हुआ है।

3. सिंहासन:

माता सुवर्ण कमल (स्वर्ण कमल) पर विराजमान होती हैं। यह कमल तांत्रिक चेतना और अध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक है।

4. हाथों की मुद्रा:

एक हाथ में वे शत्रु की जिव्हा (जीभ) को पकड़कर उसे स्तम्भित करती हैं। दूसरे हाथ में वे गदा (मगद) धारण करती हैं, जो शत्रु के विनाश और शक्ति का प्रतीक है।

इस मुद्रा को “वाक्-स्तम्भन मुद्रा” कहते हैं।

5. नेत्र (आंखें):

माता की आंखें अत्यंत तेजस्वी और ध्यान में लीन दिखती हैं। वे शत्रु को रोचक कर देने वाली दृष्टि रखती हैं।

6. भव्यता:

उनका मुख शांत लेकिन प्रभावी है। ऐसा प्रतीत होता है मानो वे बिना क्रोध के ही शत्रु का संहार कर सकती हैं।

तांत्रिक साधकों के अनुसार माता बगुलामुखी का ध्यान करने मात्र से ही शत्रुओं की शक्ति क्षीण हो जाती है। उनका रूप आत्म-संयम, एकाग्रता और शक्ति का जीवंत उदाहरण है।

माता बगुला मुक्ति की तांत्रिक विद्या:-

माता बगलामुखी की तांत्रिक विद्या अत्यंत प्रभावशाली, रहस्यमयी और गुप्त मानी जाती है। यह विद्या मुख्यतः “स्तम्भन शक्ति” (शत्रु की वाणी, बुद्धि, शक्ति को रोकने) के लिए जानी जाती है। बगलामुखी महाविद्या, दस महाविद्याओं में आठवीं हैं, और तांत्रिक साधना में विशेष स्थान रखती हैं।

1. स्तम्भन (रोकने की विद्या):

यह उनकी प्रमुख शक्ति है। इसमें शत्रु की वाणी, निर्णय-शक्ति, गति, और तर्क को जड़ कर दिया जाता है।

उदाहरण: न्यायालय में विरोधी पक्ष गड़बड़ा जाए, शत्रु बोल न सके, या निर्णय स्थगित हो जाए।

2. वशीकरण और मोहिनी प्रभाव:

बगलामुखी की साधना से व्यक्ति की वाणी में प्रभाव आता है। लोग उसकी बात को ध्यान से सुनते हैं और प्रभावित हो जाते हैं।

3. उच्च न्यायिक विजय:

कई साधक बगलामुखी विद्या का उपयोग कानूनी मामलों, राजनीति, या प्रतियोगिता में सफलता के लिए करते हैं।

4. आत्मरक्षा और शत्रु नाश:

शत्रु की चालें निष्फल हो जाती हैं। शत्रु भ्रमित हो जाते हैं, उनका बल नष्ट होता है।

प्रमुख तांत्रिक प्रयोग Baglamukhi mata mantra:-

1. बगलामुखी मंत्र (मूल):

“ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा।”

ह्लीं बीज मंत्र बगलामुखी की शक्ति का मूल है।

इस मंत्र का जप सामान्यतः पीले वस्त्र पहनकर, पीले आसन पर बैठकर, पीले फूलों से किया जाता है।

2. बगलामुखी यंत्र:

यह एक विशेष तांत्रिक यंत्र होता है, जो स्तम्भन और रक्षण के लिए प्रयोग होता है।

इसे सिद्ध कर शत्रु के प्रभाव को रोकने हेतु धारण या पूजा में रखा जाता है।

3. प्रयोग विधियाँ:

विशेष अमावस्या, नवमी, या गुरुवार को साधना प्रारंभ की जाती है। साधक को ब्रह्मचर्य और नियमों का पालन करना होता है।पीले चावल, पीले वस्त्र, हल्दी की माला, पीली मिठाई आदि प्रयोग होते हैं।

सावधानियाँ:

यह विद्या अत्यंत प्रभावशाली है। गलत उपयोग करने पर उल्टा प्रभाव भी हो सकता है।

शुद्ध हृदय, सही उद्देश्य और गुरु की दीक्षा के बिना प्रयोग नहीं करना चाहिए।‌। यह विद्या रक्षा, न्याय और आत्मबल बढ़ाने के लिए है, किसी को हानि पहुँचाने हेतु नहीं।

मां बगुलामुखी Maa Baglamukhi व माता पार्वती Parvati mata:-

माता बगलामुखी और माता पार्वती के बीच गहरा आध्यात्मिक और तांत्रिक संबंध है, क्योंकि बगलामुखी देवी को माता पार्वती का ही एक तांत्रिक और उग्र रूप माना जाता है। यह संबंध शक्ति तत्त्व और दस महाविद्याओं की परंपरा में स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है। दस महाविद्याएँ माता पार्वती के दस रूप हैं, जो उन्होंने भगवान शिव को अलग-अलग भावों में दर्शन देने के लिए धारण किए थे।

जब शिव ने पार्वती से कहा कि वे उन्हें सभी रूपों में देखना चाहते हैं, तब पार्वती ने दस महाविद्याओं का रूप धारण कियाइसलिए बगलामुखी, माता पार्वती का ही एक विशेष तांत्रिक स्वरूप हैं।

माता के मंदिरों की रहस्यमई कहानियां:-

इन मंदिरों में ऐसी अनेक घटनाएं घट चुकी हैं, जिन्हें विज्ञान भी नहीं समझा सका। नीचे हम कुछ प्रसिद्ध बगलामुखी मंदिरों से जुड़ी रहस्यमयी और चमत्कारी घटनाओं की कहानियाँ प्रस्तुत कर रहे हैं:

1. पीतांबरा पीठ, दतिया (मध्य प्रदेश) की रहस्यमयी शक्ति:

जब भारत-चीन युद्ध 1962 में चल रहा था, तब तत्कालीन प्रधानमंत्री पं. नेहरू ने देश की रक्षा के लिए आध्यात्मिक उपाय भी खोजने शुरू किए। दतिया पीठ के सिद्ध साधक स्वामी जी ने माता बगलामुखी की शक्तिशाली महायज्ञ करवाया।

कहा जाता है कि यज्ञ के बाद चीन की सेना अचानक पीछे हट गई।

बिना युद्ध पूर्ण रूप से लड़े, भारत को एक बड़ी तबाही से बचा लिया गया।

रहस्य:

यज्ञ के दौरान साधकों को देवी के प्रकट होने की अनुभूति हुई।कई लोगों ने तेजस्वी पीली आभा वाले रूप को देखा था।मंदिर के आसपास असाधारण ऊर्जा महसूस होती है।

2. नलछा बगलामुखी मंदिर (धार, म.प्र.) – शत्रु स्तम्भन की कथा:

एक बार एक भक्त पर झूठा हत्या का आरोप लगा। उसने अपनी अंतिम आशा के रूप में नलछा मंदिर में देवी से प्रार्थना की और एक रात्रि अनुष्ठान किया।

अगले दिन कोर्ट में गवाही देने आया मुख्य गवाह बोल ही नहीं पाया — उसकी वाणी स्तम्भित हो गई।

रहस्य:

कोर्ट में हुई यह घटना कई अखबारों में छपी।भक्त ने बाद में मंदिर में भंडारा करवाया।

आज भी वहां जाकर लोग ‘स्तम्भन रक्षा’ हेतु मन्नतें मांगते हैं।

3. बगलामुखी मंदिर, कांगड़ा (हिमाचल) – रात में गूंजती मंत्र ध्वनि:

कांगड़ा का मंदिर प्राचीन जंगल में स्थित है। कुछ साधकों ने कहा कि रात के समय जब मंदिर बंद होता है, तब अंदर से मंत्रों की धीमी-धीमी आवाजें आती हैं।

कोई कहता है — यह देवी के गुप्त गणों की साधना है।

रहस्य:

CCTV में कई बार अंदर बिना किसी के मौजूद होने पर प्रकाश और ध्वनि रिकॉर्ड हुई है। मंदिर के पुजारी भी स्वीकार करते हैं कि यह सामान्य मंदिर नहीं, साधकों की तपस्थली है।

4.नेपाल का बगलामुखी मंदिर – भूत-प्रेत बाधा निवारण:

एक परिवार वर्षों से एक आत्मिक बाधा से परेशान था। नेपाल के भक्तपुर स्थित बगलामुखी मंदिर में जाकर उन्होंने 11 दिनों का अनुष्ठान करवाया।

कहते हैं – देवी ने स्वप्न में आकर परिवार को दिशा दी, और अनुष्ठान के अंतिम दिन घर में शांति लौट आई।

रहस्य:

मंदिर के चारों ओर साधकों की ऊर्जाएं महसूस होती हैं।कई लोग कहते हैं – देवी स्वप्न में दिशा देती हैं।

5. दिल्ली बगलामुखी मंदिर – मंत्र जाप से विरोधी निष्क्रिय:

राजनीति में एक महिला नेता पर बार-बार चरित्र हनन के आरोप लगते थे। गुरु की सलाह से उसने दिल्ली के बगलामुखी मंदिर में 21 गुरुवार जप अनुष्ठान किया।

उसके विरोधियों के केस धीरे-धीरे रद्द होने लगे, मीडिया चुप हो गया, और वह चुनाव जीत गई।

माता बगलामुखी के मंदिर केवल पूजा स्थल नहीं हैं, बल्कि रहस्यमयी ऊर्जा और तांत्रिक शक्तियों के केंद्र हैं। वहां हर पत्थर, हर ध्वनि में शक्ति की अनुभूति होती है।

🛕 माता बगलामुखी के 10 प्रमुख मंदिर, विशेषता और स्थान:-

1. माता बगलामुखी शक्तिपीठ, दतिया (मध्य प्रदेश)

📍 स्थान: दतिया, ग्वालियर के पास

विशेषता: भारत का सबसे प्रसिद्ध तांत्रिक बगलामुखी पीठ। यहां बड़ी संख्या में साधक शत्रु बाधा निवारण हेतु आते हैं।

2. पीतांबरा पीठ, अमरावती (महाराष्ट्र)

📍 स्थान: अमरावती, विदर्भ क्षेत्र

विशेषता: यहां बगलामुखी को पीली साड़ी, हल्दी और पीत वस्त्र चढ़ाए जाते हैं। ये साधना के लिए खास ऊर्जा केंद्र माना जाता है।

3. माता बगलामुखी मंदिर, नालागढ़ (हिमाचल प्रदेश)

📍 स्थान: सोलन जिला, हिमाचल

विशेषता: पहाड़ी क्षेत्र में स्थित यह मंदिर प्राकृतिक सौंदर्य और शक्तिपूजन का संगम है। यहां तांत्रिक साधना हेतु विशेष रात्रि पूजन होता है।

4. माता बगलामुखी मंदिर, हरिद्वार (उत्तराखंड)

📍 स्थान: कनखल, हरिद्वार

विशेषता: पौराणिक मान्यता है कि इस स्थान पर देवी ने यज्ञ के दौरान राक्षसों का संहार किया था।

5. बगलामुखी मंदिर, कोलकाता (पश्चिम बंगाल)

📍 स्थान: तांत्रिक शक्ति उपासना की राजधानी

विशेषता: बंगाल तंत्र साधना परंपरा से जुड़ा यह मंदिर, सिद्ध तांत्रिकों द्वारा संचालित है।

6. बगलामुखी मंदिर, वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

📍 स्थान: काशी के निकट

विशेषता: देवी के पंचमुखी रूप की पूजा होती है। यहाँ “शब्द बंध” साधना विशेष रूप से की जाती है।

7. श्री बगलामुखी धाम, नीमच (मध्य प्रदेश)

📍 स्थान: नीमच जिला

विशेषता: शांत वातावरण में तांत्रिक अनुष्ठानों के लिए एक प्राचीन साधना स्थल है।

8. बगलामुखी मंदिर, कांगड़ा (हिमाचल प्रदेश)

📍 स्थान: कांगड़ा घाटी

विशेषता: यह शक्तिपीठ ऊँचाई पर स्थित है और तांत्रिक सिद्धियों के लिए प्रसिद्ध है।

9. बगलामुखी मंदिर, मुंबई (महाराष्ट्र)

📍 स्थान: डोंबिवली

विशेषता: नवग्रह दोष निवारण, कोर्ट-कचहरी संबंधी परेशानियों के लिए विशेष पूजा होती है।

10. बगलामुखी मंदिर, उज्जैन (मध्य प्रदेश)

📍 स्थान: महाकाल नगरी उज्जैन

विशेषता: ज्योतिर्लिंग के समीप होने से यहाँ की बगलामुखी साधना अत्यंत प्रभावशाली मानी जाती है।

नेपाल में प्रमुख मंदिर:-Mata baglamukhi –

बगलामुखी मंदिर, भक्तपुर, नेपाल:-

यह मंदिर भी अत्यंत प्राचीन और तांत्रिक महत्व का है। नेपाली तांत्रिक परंपरा में यह मंदिर उच्च स्थान रखता है।

इन मंदिरों में अधिकतर पीले रंग का उपयोग होता है: वस्त्र, फूल, प्रसाद, आदि।‌ गुरुवार का दिन बगलामुखी साधना के लिए विशेष माना जाता है। मंदिरों में गुप्त तांत्रिक अनुष्ठान, यंत्र सिद्धि और विशेष पूजा होती है।

माता बगुलामुखी की साधना विधि Baglamukhi sadhna:-

1.साधना के लिए अमावस्या, गुरुवार या माता बगलामुखी जयंती की रात्रि उत्तम मानी जाती है।

2.साधक को स्नान करके पीले वस्त्र धारण करने चाहिए, और साधना स्थान को पीले पुष्पों से सजाना चाहिए।

3.माता बगलामुखी की मूर्ति या यंत्र को पीले वस्त्र पर स्थापित करें।

4.पूजा में हल्दी, पीले फूल, पीला चंदन, पीले फल और अक्षत का प्रयोग करें।

5.बीज मंत्र – “ॐ ह्लीं बगलामुखि सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय जिव्हां कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ॐ स्वाहा” का 108 या 1008 बार जाप करें।

6.जाप हेतु हल्दी की माला या पीली स्फटिक माला का उपयोग करें।

7.साधना के समय एकाग्रता और मौन का पालन अत्यावश्यक होता है।

8.साधना पूर्ण होने पर हवन या तर्पण करें और माता से रक्षा की प्रार्थना करें।

9.साधना का उद्देश्य शत्रु नाश, वाणी विजय, मुकदमे में सफलता या आत्मरक्षा हो सकता है।

10.निष्काम भावना से की गई साधना विशेष फलदायी होती है और आत्मिक बल प्रदान करती है।

निष्कर्ष:-

माता बगलामुखी की शिक्षाएं मुख्य रूप से उनकी शक्ति, सुरक्षा और विजय प्राप्ति के ऊपर केंद्रित हैं। वे भक्तों को अज्ञानता और भ्रम से ऊपर उठने, शत्रुओं पर विजय प्राप्त करने, और शांति और मानसिक शांति प्राप्त करने के लिए प्रेरित करती हैं।माता बगलामुखी की पूजा से भक्तों को जीवन में हर तरह की सफलता और खुशियां मिलती हैं, और वे एक बेहतर जीवन जी सकते हैं । 🙏माता बगलामुखी🙏

🙏यदि आपको यह जानकारी उपयोगी और प्रेरणादायक लगी हो तो कृपया इसे अपने मित्रों और परिवार के साथ साझा करें। माँ बगलामुखी की कृपा आप पर सदैव बनी रहे। जय बगलामुखी माता!”🙏

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