
प्रस्तावना:-
माता कमला दस महाविद्याओं में एक अत्यंत दिव्य और शुभ स्वरूप हैं। वे लक्ष्मी जी का ही तांत्रिक रूप मानी जाती हैं, जो धन, ऐश्वर्य, सौभाग्य और समृद्धि की अधिष्ठात्री देवी हैं। माता कमला का वर्ण सुनहरा है और वे कमल के आसन पर विराजमान रहती हैं। चार भुजाओं वाली यह देवी हाथों में कमल और आशीर्वाद की मुद्रा धारण करती हैं। इनके चरणों में हाथी जल अर्पण करते हैं, जो राजकीय वैभव और ऐश्वर्य का प्रतीक है।
माता कमला केवल भौतिक सुखों की ही नहीं, अपितु आत्मिक उन्नति की भी प्रतीक हैं। तांत्रिक साधक उन्हें योग, ध्यान और आध्यात्मिक समृद्धि के लिए पूजते हैं। इनकी उपासना से साधक को जीवन में धन, सुख, शांति और आध्यात्मिक जागृति प्राप्त होती है। वे माँ लक्ष्मी का रहस्यमय और जाग्रत रूप हैं, जो साधक को मोक्ष तक पहुंचा सकती हैं।
माता कमला की उत्पत्ति:-
माता कमला, दस महाविद्याओं में से एक और देवी लक्ष्मी का तांत्रिक रूप मानी जाती हैं। उनकी उत्पत्ति का वर्णन अनेक पुराणों और तांत्रिक ग्रंथों में किया गया है। विशेष रूप से “शक्तिपीठ तंत्र,” “महाविद्या रहस्य,” और “देवी भागवत” जैसे ग्रंथों में इनकी उत्पत्ति को गूढ़ और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बताया गया है।
सृष्टि की प्रारंभिक अवस्था में जब ब्रह्मांड में अज्ञान, अंधकार, और दरिद्रता का प्रकोप बढ़ गया था, तब देवताओं और ऋषियों ने भगवान विष्णु से प्रार्थना की कि वे कोई ऐसा उपाय करें जिससे संसार में समृद्धि, धर्म और संतुलन बना रहे।भगवान विष्णु ने योगनिद्रा में लीन होकर दिव्य ध्यान किया। उनके ध्यान और तप से ही देवी लक्ष्मी का एक शक्तिशाली और तांत्रिक रूप प्रकट हुआ – माता कमला। यह रूप लक्ष्मी का ही अत्यंत तेजस्वी, उग्र, और दिव्य रूप था, जो केवल साधकों और तांत्रिकों को ही अनुभव होता है।
माता कमला ने जैसे ही प्रकट होकर जगत को देखा, उन्होंने अपने कर-कमलों से अमृत, अन्न, धन, और शुभता की वर्षा की। जिस क्षण वे प्रकट हुईं, कमल के पुष्पों की वर्षा हुई, और उन्हें कमल पर विराजमान देखकर ही उनका नाम “कमला” पड़ा।
माता कमला नाम का अर्थ:-
माता कमला नाम का अर्थ संस्कृत में बहुत ही गूढ़ और सुंदर है:
कमला” शब्द का अर्थ:
1. कमल (पुष्प) पर आसीन होने वाली:
“कमला” शब्द कमल से बना है, जो पवित्रता, सुंदरता और आत्मज्ञान का प्रतीक है। कमल पर विराजमान होने के कारण उन्हें कमला कहा गया।
2. कमल सदृश मुख या स्वभाव वाली:
जिनका स्वरूप, मुख-मंडल और स्वभाव कमल के समान कोमल, शांत और आकर्षक हो।
3. लक्ष्मी का एक नाम:
“कमला” देवी(Kamal mata) लक्ष्मी का प्रिय और प्रसिद्ध नाम है। वे कमल की जननी और कमल पर वास करने वाली हैं।”कमला” का अर्थ है — कमल पर विराजमान, कमल सदृश सुंदर और शुद्ध देवी।यह नाम माता की दिव्यता, वैभव और सौम्यता को दर्शाता है।
माता कमला के अन्य नाम:-
माता कमला (Mata kamla)के कई अन्य नाम हैं, जो उनके विभिन्न स्वरूपों, गुणों और शक्तियों को दर्शाते हैं। ये नाम शास्त्रों, तांत्रिक ग्रंथों और भक्तों की भक्ति परंपरा में प्रसिद्ध हैं।
1. श्री लक्ष्मी – धन और वैभव की अधिष्ठात्री देवी।
2. पद्मा – पद्म (कमल) पर विराजमान होने के कारण।
3. हरिप्रिया – भगवान विष्णु (हरि) की प्रिय पत्नी।
4. लोकमाता – समस्त संसार की जननी।
5. धनदा – जो धन और ऐश्वर्य प्रदान करती हैं।
6. वैष्णवी – भगवान विष्णु की शक्ति रूप।
7. शुभप्रदा – जो शुभता और मंगल प्रदान करती हैं।
8. कमलविलासा – कमल के समान शोभायुक्त और उसमें रमण करने वाली।
9. महालक्ष्मी – लक्ष्मी का महामय और शक्तिशाली स्वरूप।
10. सौम्या – शांत और कोमल स्वभाव वाली देवी।
ये सभी नाम माता कमला की महिमा, सौंदर्य और शक्तियों के विभिन्न आयामों को प्रकट करते हैं।

माता कमला के रूप का वर्णन:-
माता कमला का रूप अत्यंत दिव्य, शांत, सौम्य और तेजस्वी है। वे लक्ष्मी जी का तांत्रिक स्वरूप हैं और दश महाविद्याओं में एकमात्र ऐसी देवी हैं जो सौंदर्य, शांति और ऐश्वर्य की प्रतीक मानी जाती हैं।
1. वर्ण (रंग):
माता का शरीर स्वर्ण के समान चमकदार होता है। उनका तेज ऐसा होता है जैसे हजारों सूर्य एक साथ प्रकाशमान हों, परंतु वह तेज सौम्यता से भरा होता है।
2. आसन:
माता पूर्ण खिले कमल के पुष्प पर विराजमान रहती हैं, जो जल में स्थित होता है। इससे उनकी पवित्रता और वैराग्य का बोध होता है।
3. हाथों में वस्तुएं (चतुर्भुजा):
माता कमला के चार भुजाएं होती हैं, जिनमें वे विविध वस्तुएं धारण करती हैं:एक हाथ में कमल पुष्प,एक में अभय मुद्रा (सुरक्षा देने की मुद्रा),एक में वर मुद्रा (वरदान देने का संकेत),एक में स्वर्ण सिक्कों की वर्षा करती हुई मुद्रा।
4. नेत्र और मुखमंडल:
उनका मुखमंडल प्रसन्नता, करुणा और दया से भरा होता है। उनकी आंखें कमलदल जैसी बड़ी, शीतल और शांत हैं।
5. वस्त्र और आभूषण:
माता ने लाल या गुलाबी रंग के रेशमी वस्त्र धारण किए हैं और वे सोने, माणिक्य और मोतियों से सजे अलंकारों से विभूषित रहती हैं।
6. वाहन:
माता कमला का वाहन गज (हाथी) है। उनके दो श्वेत गज (हाथी) उनके पास खड़े होकर सिंचित जल से उनका अभिषेक करते हैं, जो ऐश्वर्य और राजसी गरिमा का प्रतीक है।माता कमला का रूप यह सिखाता है कि सौंदर्य और ऐश्वर्य तभी स्थायी होता है जब वह करुणा, शांति और धर्म से युक्त हो। वे आत्मिक और भौतिक दोनों प्रकार की समृद्धि की देवी हैं।
माता कमला की रहस्यमई कहानियां:
माता कमला (महाविद्या लक्ष्मी) से जुड़ी अनेक गूढ़ और रहस्यमयी कहानियाँ प्राचीन तांत्रिक ग्रंथों, पुराणों और संत-परंपरा में मिलती हैं। ये कथाएं न केवल उनकी दिव्यता को दर्शाती हैं, बल्कि यह भी बताती हैं कि वे केवल ऐश्वर्य की देवी ही नहीं, बल्कि रहस्य, साधना और आत्मिक ज्ञान की अधिष्ठात्री भी हैं।
1. तांत्रिक साधक और माता कमला का प्रत्यक्ष दर्शन:एक प्राचीन कथा के अनुसार, दक्षिण भारत में एक महान तांत्रिक साधक ने जीवन भर देवी कमला की साधना की। वर्षों तक निर्जन वन में रहकर वह केवल उनका ध्यान और जप करता रहा। एक रात्रि वह कमल के फूलों से भरा एक सरोवर पार कर रहा था, तभी उसे प्रकाश का तेज पुंज दिखाई दिया। तेजस्वी रूप में माता कमला प्रकट हुईं और बोलीं: “हे साधक, तूने मेरी सौम्यता को साधा है, अब मैं तुझे तांत्रिक लक्ष्मी के रहस्य का ज्ञान देती हूँ।”माता ने उसे वास्तविक वैभव का अर्थ – आत्मिक संतोष सिखाया। इसके बाद साधक ने जीवनभर धन नहीं, परमार्थ के लिए ज्ञान और सेवा को अपनाया।
2. माता कमला द्वारा भोगी राजा को आत्मज्ञान देना:एक राजा था, जो अत्यधिक विलासी और धन-लोलुप था। उसने माता लक्ष्मी की पूजा केवल धन के लिए की। एक दिन उसे स्वप्न में माता कमला ने दर्शन दिए और कहा:”तू मुझे केवल भोग के लिए बुला रहा है, पर मैं केवल उसी के पास स्थायी रूप से रहती हूँ, जिसके जीवन में धर्म, करुणा और संतोष हो।”स्वप्न से जागकर राजा बदल गया। उसने अपना राज्य धर्म और दान के मार्ग पर चलाया और तब माता कमला का वैभव सदा के लिए उसके जीवन में बना रहा।
3. कमल वन में कन्या का रहस्य:एक रहस्यमयी कथा में बताया गया है कि एक बार एक तपस्वी कमल के फूलों से ढके वन में साधना कर रहा था। वहाँ एक सुंदर कन्या रोज प्रकट होकर उसे भोजन देती और चली जाती। कई महीनों बाद तपस्वी ने ध्यान में देखा कि वही कन्या माता कमला हैं, जो स्वयं उसकी सेवा कर रही थीं।यह रहस्य उजागर करता है कि सच्चे भक्त की सेवा स्वयं देवी करती हैं, लेकिन वह सेवा अहंकार रहित होनी चाहिए।
माता कमला की कहानियाँ हमें सिखाती है कि धन का असली स्वरूप धर्म और सेवा में है। देवी की प्राप्ति केवल पूजा से नहीं, शुद्ध हृदय और आत्मा से होती है। वे केवल भौतिक लक्ष्मी नहीं, बल्कि आत्मिक समृद्धि की भी देवी हैं।
माता कमला की तांत्रिक विद्या:-
माता कमला, दश महाविद्याओं में अंतिम (दसवीं) देवी हैं, और वे देवी लक्ष्मी का अत्यंत गूढ़, तांत्रिक और दिव्य रूप मानी जाती हैं। उनका तांत्रिक स्वरूप सौम्यता और ऐश्वर्य के साथ-साथ आत्मज्ञान, रहस्य और उच्च साधना का प्रतीक है।
1. माता कमला की तांत्रिक विद्या का स्वरूप:
माता कमला की तांत्रिक विद्या मुख्यतः धन, ऐश्वर्य, सफलता, शांति, सिद्धि और आत्मिक जागरण के लिए की जाती है। यह विद्या दिखने में शांत प्रतीत होती है, लेकिन इसका प्रभाव अत्यंत शक्तिशाली और स्थायी होता है।
विशेषताएं:
यह विद्या हठयोग और उग्र साधना की अपेक्षा शुद्ध भाव, आह्वान और ब्रह्म ध्यान पर आधारित है। साधक को न केवल भौतिक धन की प्राप्ति होती है, बल्कि आध्यात्मिक वैभव भी प्राप्त होता है।
यह विद्या कुबेर, विष्णु और कमला की त्रिवेणी ऊर्जा को जाग्रत करती है।
2.Maa Kamla Mantra – सिद्धि और शांति के लिए सबसे प्रभावशाली मंत्र:-
(क) श्री कमला तंत्र साधना:
इसमें देवी के विशेष बीज मंत्र और यंत्र के माध्यम से साधना की जाती है। यह साधना विशेष रूप से दीपावली, गुरुपुष्य योग या पूर्णिमा पर की जाती है।
(ख) कमला बीज मंत्र साधना:
मंत्र:
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं क्लीं ॐ नमः॥”
यह बीज मंत्र माता कमला की कृपा प्राप्त करने के लिए अत्यंत प्रभावी है। इसे ब्रह्म मुहूर्त में, शांत वातावरण में, कमल के आसन पर बैठकर जपना चाहिए।
(ग) कमला यंत्र साधना: Maa kamla sadhna
माता कमला का यंत्र विशेष रूप से स्वर्ण अथवा भोजपत्र पर स्थापित कर साधना की जाती है। यंत्र से ध्यान करते हुए साधक को श्रीसूक्त अथवा कमला अष्टक का पाठ करना चाहिए।
3. साधना के लाभ:
1. स्थायी धन, समृद्धि और संपत्ति की प्राप्ति
2. व्यवसाय, करियर और परिवार में स्थिरता
3. मानसिक शांति और आध्यात्मिक जागरूकता
4. देवी लक्ष्मी की दीर्घकालिक कृपा
5.गुप्त भय, दरिद्रता और दुर्भाग्य का नाश
4. विशेष सावधानियां:
यह तांत्रिक विद्या केवल शुद्ध हृदय और पवित्र स्थान में ही करनी चाहिए। किसी भी प्रकार का लोभ, स्वार्थ या हानि की भावना साधना में हो तो माता की कृपा दूर हो सकती है। गुरु के मार्गदर्शन में साधना करना अधिक फलदायक होता है।
माता कमला की तांत्रिक विद्या केवल धन की प्राप्ति नहीं, बल्कि आध्यात्मिक ऐश्वर्य, ज्ञान और आत्मसंतोष की प्राप्ति का मार्ग है। वे तांत्रिक साधकों के लिए शांत और स्थिर लक्ष्मी का स्वरूप हैं, जो साधना में सच्चाई, श्रद्धा और सेवा देखती हैं।
माता कमला और लक्ष्मी जी के मध्य संबंध :
माता कमला और लक्ष्मी जी वास्तव में एक ही शक्ति के दो रूप हैं, लेकिन उनके कार्य, स्वरूप और उपासना के दृष्टिकोण से कुछ विशेष अंतर और रहस्य हैं। दोनों देवी धन, ऐश्वर्य, समृद्धि और शुभता की अधिष्ठात्री हैं, परंतु उनके बीच का संबंध आध्यात्मिक और तांत्रिक दृष्टि से बहुत ही गूढ़ है।
1. आध्यात्मिक संबंध:
माता कमला, लक्ष्मी जी का ही तांत्रिक महाविद्या रूप हैं। लक्ष्मी जी की पूजा अधिकतर वैदिक विधि से की जाती है, जैसे श्रीसूक्त, लक्ष्मी अष्टोत्तर आदि से। जबकि कमला (mata kamla)की साधना तंत्रमार्ग से होती है, जिसमें बीज मंत्र, यंत्र, और गुप्त उपासना का प्रयोग होता है।
2. तात्त्विक भेद (गूढ़ अंतर):
लक्ष्मी जी सामान्य जन के लिए पूजनीय रूप हैं – ऐश्वर्य, वैभव और भौतिक सुख प्रदान करने वाली माता कमला साधकों और तांत्रिकों के लिए – जो ध्यान, ज्ञान, आत्मिक उन्नति और धन की रहस्यमय धाराओं को प्राप्त करना चाहते हैं।
जैसे सूरज का प्रकाश सबको दिखता है (लक्ष्मी),लेकिन सूरज की ऊष्मा का रहस्य केवल वैज्ञानिक या साधक जानते हैं (कमला)।
उसी प्रकार लक्ष्मी सबके लिए हैं, पर कमला उन विशेष साधकों के लिए हैं जो गूढ़ रहस्य और स्थायी समृद्धि के मार्ग पर चलते हैं।
माता कमला = देवी लक्ष्मी का तांत्रिक, रहस्यमय और साधना-प्रधान रूप। दोनों के मूल में एक ही शक्ति है, पर उनके प्रकट होने, उपासना और फल की दिशा अलग-अलग होती है।

माता कमला और माता पार्वती के मध्य संबंध :-
माता कमला और माता पार्वती, दोनों ही आदिशक्ति के भिन्न-भिन्न रूप हैं। ये दोनों देवी शक्ति के विभिन्न कार्यों और स्वरूपों को दर्शाती हैं, परंतु उनके मूल में एक ही सार्वभौमिक शक्ति का प्रभाव है। आइए समझते हैं इन दोनों के मध्य संबंध को तांत्रिक, पौराणिक और दार्शनिक दृष्टि से:
1.दश महाविद्याओं के संदर्भ में:
माता पार्वती ही अपने विभिन्न रूपों में दश महाविद्याओं के रूप में प्रकट होती हैं।माता कमला, इन दश महाविद्याओं की दसवीं और अंतिम शक्ति हैं। इसलिए कमला ( Mata kamla)भी पार्वती का ही एक तांत्रिक रूप हैं, जो विशेष रूप से धन, ऐश्वर्य और दिव्यता प्रदान करती हैं।
2. ध्यान और साधना में एकता:
अनेक तांत्रिक ग्रंथों में वर्णन आता है कि जो पार्वती की उपासना करता है, उसे कमला की कृपा स्वतः प्राप्त होती है। यह भी माना जाता है कि पार्वती की कृपा से ही लक्ष्मी स्थायी होती हैं।माता कमला और माता पार्वती दोनों एक ही आदि शक्ति की दो दिशाएं हैं
माता कमला की साधना विधि :-
1. साधना का समय:
माता कमला की साधना हेतु रात्रि का समय, विशेषकर दीपावली, पूर्णिमा या शुक्रवार को श्रेष्ठ माना जाता है।
2. स्थान चयन:
साधना एकांत, पवित्र और शांत स्थान पर करें। पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
3. वस्त्र और आसन:
पीले या लाल वस्त्र पहनें। कुशा या ऊन का आसन उपयोग करें।
4. स्नान व शुद्धि:
स्नान करके शुद्ध होकर, अपने आसन पर बैठें। साधना से पूर्व स्थान की शुद्धि जल छिड़ककर करें।
5. मूर्ति या यंत्र स्थापना:
माता कमला की मूर्ति, चित्र या श्री यंत्र/कमला यंत्र को पूजा स्थान पर स्थापित करें।
6. दीप प्रज्ज्वलन:
घी का दीपक जलाएं और सुगंधित धूप, अगरबत्ती आदि अर्पित करें।
7. आवाहन मंत्र:
“ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमलवासिन्यै नमः“इस मंत्र से देवी का आह्वान करें।
8. पूजन सामग्री:
पीले पुष्प, कमल के फूल, चावल, हल्दी, केसर, फल, मिठाई और पंचामृत का प्रयोग करें।
9. मूल बीज मंत्र जप:
“ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमलवासिन्यै नमः”इस मंत्र का 108, 1008 या 1.25 लाख बार जप करें।
10. माला:
स्फटिक, कमलगट्टे या रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें।
11. ध्यान मुद्रा:
माता के ध्यान में उन्हें चार भुजाओं वाली, कमल पर आसीन, स्वर्णवर्णा रूप में कल्पना करें।
12. नैवेद्य:
खीर, मिश्री, केसरयुक्त मिठाई और फल अर्पित करें।
13. हवन (यदि संभव हो):
जप पूर्ण होने के बाद घी, चावल, कमलगट्टा व गुड़ से हवन करें।
14. आरती और प्रार्थना:
कमला माता की आरती करें और उनसे अपने लिए धन, सुख, सौभाग्य और आध्यात्मिक उन्नति की प्रार्थना करें।
15. व्रत पालन:
साधना के दिनों में सात्विकता, ब्रह्मचर्य और मौन का पालन करें।

Kamla Mata temple भारत के कई तांत्रिक स्थलों पर स्थित हैं, जहां भक्त साधना और उपासना करते हैं।
1. कमला माता मंदिर – चंद्रपुरा, बोकारो, झारखंड:यह मंदिर चंद्रपुर के पास में एक पहाड़ी पर स्थित है। लगभग 50 वर्ष पूर्व फलाहारी बाबा के द्वारा स्थापित मंदिर जो एक आस्था का केंद्र बन चुका है।
2. कमला नारायण मंदिर – देगांव, बेलगावी, कर्नाटक:12वीं शताब्दी में कदंब वंश की रानी कमला देवी द्वारा स्थापित मंदिर जो त्रिकुटाचल शैली में बना है। यहां भगवान नारायण माता लक्ष्मी जी व कमला देवी की मूर्ति स्थापित है।
3. कमला भवानी मंदिर – करमाळा, सोलापुर, महाराष्ट्रयह मंदिर 1727 में राजा निंबाठ्ठकर द्वारा निर्मित किया गया था।यहां कमला भवानी को तुलजा भवानी का अवतार माना जाता है।मंदिर की विशेषता 96 खंबे 96 पायदान व 96 शिल्पचित्रों में है। यह मंदिर हैमड पंथी शैली में बना है।
4. श्री कमला देवी मंदिर – चिक्कलदिन्नी, बेलगावी, कर्नाटकयहां मंदिर चिक्कलदिन्नी गांव , बेलगावी जिला, कर्नाटक में है यहां तांत्रिक साधना का केंद्र माना जाता है।
5. श्री कमलाम्बिका मंदिर – तिरुवरूर, तमिलनाडु यह मंदिर तांत्रिक साधना व संगीत के लिए प्रसिद्ध है।
6. कमला देवी मंदिर- डांडी पाड़ा (पालघर, महाराष्ट्र)
7. श्री कमला कन्नम्मा मंदिर- चल्लमंबापुरम (अनजूर, आंध्र प्रदेश)
8. कमला देवी मंदिर- थुलासेन्द्रपुरम (तमिलनाडु)
9. कमला देवी मंदिर- नासिक (महाराष्ट्र)
10. कमला देवी मंदिर- जयपुर (राजस्थान)
निष्कर्ष:-
माता कमला केवल भौतिक ऐश्वर्य की देवी नहीं, बल्कि आध्यात्मिक वैभव, संतुलन, और आत्म-जागृति का भी प्रतीक हैं। उनके स्वरूप और तांत्रिक तत्वों से हमें कई गूढ़ और प्रेरणादायक शिक्षाएँ प्राप्त होती हैं:
1. बाह्य और आंतरिक ऐश्वर्य का संतुलन:
माता कमला सिखाती हैं कि केवल धन का होना पर्याप्त नहीं — धन के साथ विनम्रता, पवित्रता और सद्बुद्धि भी आवश्यक है।जीवन में आध्यात्मिक समृद्धि के बिना भौतिक वैभव अधूरा है।
2. श्रद्धा, साधना और शांति की महत्ता:
कमला (Kamla mata)की उपासना तंत्रमार्ग की है, जिसमें धैर्य, ध्यान और आत्मसंयम आवश्यक होता है। वे हमें सिखाती हैं कि ध्यान और आंतरिक साधना से ही सच्चा सुख प्राप्त होता है।
3. सौंदर्य और विवेक का संगम:
माता कमला सौंदर्य, कोमलता और माधुर्य की प्रतीक हैं,परंतु साथ ही प्रबुद्ध चेतना और विवेक की अधिष्ठात्री भी हैं। वे सिखाती हैं कि आकर्षण के साथ विवेक का होना आवश्यक है, नहीं तो जीवन में भटकाव आ सकता है।
4. स्थायी समृद्धि का रहस्य:
देवी कमला की कृपा केवल उन्हीं को प्राप्त होती है, जिनका हृदय शुद्ध, आचरण पवित्र और भाव निष्कलंक हो। वे यह सिखाती हैं कि सच्ची लक्ष्मी वहीं टिकती है जहाँ धर्म, सेवा और करुणा होती है।
1. समृद्धि के साथ सद्गुणों का विकास करें।
2. आंतरिक साधना और ध्यान का अभ्यास करें।
3. धन का उपयोग सेवा, धर्म और सद्कर्मों में करें।
**Kamla mata ke kripa aap par bani rahe**
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