
प्रस्तावना:
मोहिनी पिशाचिनी जिसकी सुंदरता का वर्णन तांत्रिक ग्रंथो में मिलता है इनका रूप मन को मोहने वाला मोहन और भयानक दोनों ही है मोहिनी देवी रात में, एकांत में,साधना करने से प्रसन्न होती है और इनकी पूजा करने से शत्रु नष्ट होते हैं
मोहिनी माता की कृपा से भय और बाधाएं दूर होती है इनका रूप सुंदर आकर्षक और डरावना भी हो सकता है माता श्मशान ,जंगल और एकांत स्थान पर वास करती है। और उनकी भक्ति से साधक अपने आसपास की नकारात्मक ऊर्जा से बच सकता है और एक नई आध्यात्मिक यात्रा अपने जीवन में शुरू कर सकता है।
चलो मोहिनी माता के बारे में और जानते हैं। जैसे कि उनके नाम का महत्व, माता का स्वरूप , उत्पत्ति की कथाएं , चमत्कारों की कहानियाँ, तांत्रिक साधना या इनसे जुड़ी लोक मान्यताएँ भी विस्तार से जानते हैं।
मोहिनी Mohini पिशाचिनी नाम का अर्थ :
“मोहिनी” का अर्थ होता है आकर्षण करने वाली जो देखने वाले को अपनी तरफ खींच ले उसे आकर्षित कर दे उसे मोहिनी कहते हैं ।
उदाहरण – भगवान विष्णु ने भी मोहिनी का रूप धारण किया था ताकि वह शत्रुओं का नाश कर सके और उन्हें मोहित कर अपने जाल में फंसा कर मार सके। “पिशाचिनी” का अर्थ है गुप्त या रहस्यमई मतलब जो कार्य दिखाई ना दे वह करने वाली रहस्यमई शक्ति।
पिशाचिनी शब्द थोड़ा डरावना लगता है लेकिन यह तांत्रिक शक्तियों में बहुत ही शक्तिशाली देवी है जिनका नाम मोहिनी पिशाचिनी है।
मोहिनी पिशाचिनी माता का स्वरूप:
मोहिनी माता का स्वरूप मन को मोह लेता है। इनका स्वरूप रहस्यमई, और आकर्षित करने वाला होता है मोहिनी माता के अंदर सुंदर और डरावना दोनों ही रूप देखने को मिलते हैं।
1. मोहिनी रूप –
माता का मोहिनी रूप सुंदरता को दर्शाता है और आकर्षित चमकदार है उनकी आंखें बड़ी-बड़ी गहरी और सुंदर दिखाई देती है। जिन आंखों में कोई भी देखे तो मोहित हो जाए उनके बाल लंबे, घने ,और काले दिखाई देते हैं जो कि उनकी सुंदरता को और बढ़ा देते हैं
2. भेष-
माता ज्यादातर लाल और काले वस्त्र ही पहनती है और उनके हाथों में त्रिशूल दिखाई देता है और एक हाथ में कपाल या अग्नि दिखाई देती है। जिससे पता चलता है कि उनका रूप उग्र भी है।
3. पिशाचिनी रूप –
माता मोहिनी पिशाचिनी का स्वभाव रहस्यमई होता है और सुंदर भी होता है लेकिन कई बार उनका स्वभाव उग्र और डरावना होता है माता जरूरत के हिसाब से अपना रूप बदल सकती है।
4. सौंदर्य और उग्रता —
मोहिनी माता का स्वरूप एक तरफ से देखा जाए तो सुंदरता को दर्शाता है और दूसरी तरफ देखा जाए तो उग्र है जिससे पता चलता है की मां इतनी गुस्से वाली है उनका पिशाचिनी स्वरूप रात्रि भूत -प्रेत और तंत्र से जुड़ा है। इसलिए उनके स्वरूप को मिश्रित भी माना गया है कभी सुंदर कभी गुस्से वाला।
5. अंधेरे की रानी —
माता को अंधेरे की रानी भी कहते हैं क्योंकि माता की साधना रात में अधिक सफल होती है । ज्यादातर रात्रि के समय शमशान में और घने जंगलों में अंधेरे समय में दिखाई नहीं देती है लेकिन मौजूद सभी जगह होती हैं।
मोहिनी माता की उत्पत्ति की कथा:
बहुत पुराने समय पहले की बात है संसार में अंधकार और बुराई अपनी सीमा पार कर रही थी जो अच्छे लोग थे वह दुखी और परेशान थे और बुरे लोग तंत्र मंत्र जैसी शक्तियों का उपयोग़ बुरे काम के लिए कर रहे थे।
और भी ज्यादा ताकतवर हो रहे थे उस समय भी बहुत से साधु संत और तांत्रिक साधक अपनी साधना करते थे लेकिन बुराई अधिक होने के कारण वह अपनी साधना में सफल नहीं हो पाए थे क्योंकि नकारात्मक शक्ति उन्हें रोकती थी। उन्हीं दिनों की बात है
एक तांत्रिक साधक थे जिन्होंने अपनी साधना को गुप्त रखा और साधना की वह घने जंगल में गया जहां पर शांति थी भूत प्रेत और अदृश्य शक्तियां थी उन्होंने अपनी साधना अमावस्या की रात को तंत्र-मंत्र से शुरू की लेकिन साधना करना बहुत कठिन था क्योंकि कई दिनों तक भूखे प्यासे रहकर वहां जंगल में उन्हें लगातार जप करना था कई दिनों तक जप करने के बाद उन्होंने उस शक्ति को जागृत किया जो छुपी हुई थी
जैसे ही उसकी साधना खत्म हुई आकाश में बिजली की तरह एक दृश्य प्रकट हुआ वह मोहिनी पिशाचिनी माता ही थी जो की मोहिनी की तरह सुंदर और पिशाचिनी की तरह उग्र दिखाई दे रही थी चारों तरफ गंद फैल गई और वातावरण डरावना हो गया उनका स्वरूप ऐसा था कि देखने वाला उनकी तरफ आकर्षित भी हो जाए और डर से कांपने भी लगे।
वह चमत्कारी रहस्यमई ऊर्जा और कोई नहीं बल्कि माता मोहिनी थी उन्होंने साधक को कहा मैं मोहिनी पिशाचिनी हूं मैं ना पूरी देवी हूं और ना ही राक्षसी मैं हमेशा उनकी रक्षा करती हूं जो तंत्र मंत्र करके अच्छे काम करते हैं और लोगों की सहायता करते हैं उन्होंने साधकों को वचन दिया कि जो भी उनकी सच्चे भाव से साधना करेगा वह उनकी साधना को सफल करेंगे।
उन्होंने कहा मैं सुंदरता की देवी भी हूं और शमशान की महारानी भी जिस ने भय,अहंकार और डर पर विजय पाली वही मुझे प्राप्त कर सकता है।और उसी दिन से माता मोहिनी पिशाचिनी तंत्र जगत में पूजी जानेलगी और उन्होंने भक्तों को वचन दिया कि जो भी सच्चे भाव से बिना किसी स्वार्थ और भय से उन्हें पुकारेगा वह सदैव उसकी रक्षा करेगी। और उसके जीवन से पूरे अंधकार को दूर कर देंगे।
मोहिनी माता के चमत्कारों की कथाएं:
एक गांव में नरेंद्र नाम का एक युवक रहता था नरेंद्र पढ़ा लिखा तो था ही लेकिन हमेशा उसके जीवन में परेशानियां रहती थी घर में किसी की नौकरी नहीं थी मन उदास रहता था और उसे रात को डरावने सपने भी आते थे उसने बहुत सारे उपाय किए मंदिरों में भी जाता था पंडितों से तांत्रिकों से अन्य जगहों पर पूछा लेकिन उसे कोई हल नहीं मिला
एक दिन गांव में एक वृद्ध पुरुष आया उसकी गहरी आंखें थी और उसका व्यवहार बहुत शांत दिखाई दे रहा था नरेंद्र ने अपने कष्ट साधु को बताएं और साधु ने मुस्कुरा कर कहा – तेरे ऊपर भूतों और पिशाचो की बधाए हैं लेकिन तू घबरा मत तुझे मोहिनी पिशाचिनी की शरण में जाना होगा वह सब संभाल लेंगे।
साधु ने उसे मंत्र बताया और जंगल में जाकर अमावस्या की रात को नदी के किनारे पीपल के वृक्ष के नीचे पूजा करने की विधि बताइ नरेंद्र ने वही सब किया जो साधु ने बताया आसपास डर का माहौल था लेकिन उसने अपने मित्रों को बंद नहीं किया। उसे कुछ समय बाद ऐसा लगने लगा कि उसके कान में कुछ आवाज आ रही है कि तू डर मत मैं तेरे साथ हूं
यह आवाज माता मोहिनी पिशाचिनी की थी पूजा पूरी करने के बाद वह घर चला गया और सो गया उसे कोई सपना नहीं आया और सुबह उठते ही उसे अपने जीवन में बदलाव दिखाई देने लगे परिवार में लड़ाई झगड़े बंद हो गए बुरे सपने आने बंद हो गए नौकरी मिल गई और जीवन में शांति आ गई। नरेंद्र ने उसी दिन से माता मोहिनी को अपना इष्ट मान लिया।

मोहिनी माता की तांत्रिक साधनाएँ:
मोहिनी पिशाचिनी माता की साधनाए बहुत गुप्त और शक्तिशाली मानी जाती है इसे अंधेरे में और एकांत समय पर करनी चाहिए। साधना करने से पहले पूरी जानकारी जरूर होनी चाहिए। चलो जानते हैं कि मोहिनी माता की तांत्रिक साधना क्यों और कैसे की जाती है –
1. मोहिनी माता की तांत्रिक साधना से लोग कई तरह के लाभ चाहते हैं जैसे किसी के मन को अपने वश में करना यानी कि वशीकरण ,भूत प्रेत से मुक्ति, तांत्रिक सिद्धि और मन की इच्छा पूरी करना ।
2. मोहिनी माता की साधना मुख्य रूप से रात्रि के समय या फिर शमशान में, पूर्णिमा में की जाती है । इस समय तांत्रिक शक्ति जदा होती है ।
साधना करने की विधि:
1.साधक को साधना के समय अकेले में रात्रि के समय, जंगल या फिर पीपल के नीचे साधना करनी चाहिए।
2.साधना लाल या फिर काले कपड़े पहन कर ही करे।
3.माता की मूर्ति को अपने सामने रख कर उनकी पूजा की जाती है दीपक जलाया जाता है ।
4.फिर गुरु से या फिर किसी जानकार से जानकारी लेकर ही मोहिनी माता के तांत्रिक मंत्रों का जाप करें।
मोहिनी माता के मंत्र:
मोहिनी माता के मंत्र बहुत ही सावधानी से जप करना चाहिए यह तांत्रिक मंत्र गुप्त जगह पर एकांत में शांति से बैठकर करने चाहिए।
1.ॐ ह्रीं मोहिनी देव्यै स्वाहा।
यह मंत्र वशीकरण के लिए किया जाता हे ।
अर्थ – माता मोहिनी पिशाचिनी मैं आपके चरणों में नमन करता हूं माता आप सौंदर्य, और आकर्षण की देवी है कृपया मुझे अपना आशीर्वाद प्रदान करें।
2.ॐ नमः भगवति मोहिनी पिशाचिनी सर्वजन वशं कुरु कुरु स्वाहा
इस मंत्र का जाप आकर्षण के लिए किया जाता है।
अर्थ- हे माता मोहिनी पिशाचिनी में आपको नमन करता है कृपया मुझे इसका बिल बनाया कि लोग मुझे आकर्षित हो और सभी मुझे मान सम्मान दे।
3.ॐ क्लीं मोहिनी पिशाचिनी मम रक्षणं कुरु स्वाहा।
यह मंत्र रक्षात्मक भाव से किया जाता है।
अर्थ- हे माता मोहिनी पिशाचिनी मुझे आशीर्वाद दे और भूत पिशाच , राक्षस और बुरी शक्तियों से बचाए।
4.ॐ ऐं ह्रीं क्लीं मोहिनी पिशाचिनी देवी स्वाहा।
यह मंत्र सिद्धि और तांत्रिक सिद्धि के लिए जपा जाता है।
अर्थ– हे माता मोहिनी ज्ञान ,शक्ति और आकर्षण की देवी मुझे आशीर्वाद दे कि मैं इन तीनों शक्तियों के समृद्ध हो जाऊ।
माता के मंत्र जप करने का तरीका:
1. रुद्राक्ष या फिर चंपा की माला से मंत्र करना बहुत लाभकारी माना गया है।
2. मंत्र का जप 108 या 1008 बार करें उससे ज्यादा लाभ मिलता है।
3. साधना में माता को लाल वस्त्र गुड चावल फूल इत्र चढ़ाये जाते है।
4. साधना के समय सच्ची भावना और एकाग्रता आवश्यक है। किसी भी डर शंका या लालच से साधन नहीं करनी चाहिए।
5. यह साधना बिना गुरु के नहीं करनी चाहिए

मोहिनी पिशाचिनी माता के प्रमुख मंदिर:
1. मोहिनीराज मंदिर – नेवासा, महाराष्ट्र
विशेषता- यह मंदिर भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया था उसे अर्पित है। और इसे पिशाचिनी रूप से जोड़ा जाता है। यहां पर्वत सुंदर आकर्षक और वशीकरण के लिए प्रार्थना करते हैं। यह स्थान तांत्रिकों के लिए बहुत लाभकारी है।
2. महालसा नारायणी मंदिर – मर्डोल, गोवा
विशेषता – भगवान विष्णु के मोहिनी रूप का ही एक रूप है महालसा देवी। इस मंदिर को पहले मोहिनी महालसा के नाम से जाना जाता था। यहां पर आकर्षक और वशीकरण के लिए साधना की जाती है।
3.जगन्मोहिनी मंदिर – रयाली, आंध्र प्रदेश
विशेषता – यहां पर भगवान विष्णु के दो रूपों की मूर्ति स्थित है आधा पुरुष और आधा मोहिनि रूप। अमावस्या की रातको पूजा की जाती है । साधक एकांत में साधना करता माता मोहिनी की ।
4. मोहिनी शक्ति पीठ – गुप्त स्थान, उत्तर भारत
विशेषता – कुछ सड़कों तांत्रिकों ने देखा है कि उत्तर प्रदेश ओर बीएच में पीपल के पेड़ के नीचे शक्ति पीठ होते है।यहां अमावस्या की रात में पूजा होती है ।
मोहिनी माता के प्रसिद्ध साधना स्थल:
काशी और उज्जैन में शमशान भूमि है यहां माता मोहिनी पिशाचिनी के उग्र स्वभाव की पूजा की जाती है।अमावस्या की रात को पीपल के नीचे भी साधन की जाती है । नेपाल सीमा में भी माता की पूजा की जाती है तांत्रिकों के द्वारा।
निष्कर्ष:
मोहिनी माता का स्वरूप ऐसा है जो सुंदरता, आकर्षण, रहस्य और शक्ति को दर्शाता है। मोहिनी पिशाचिनी माता कोई साधारण देवी नहीं, बल्कि एक बहुत ही शक्तिशाली तांत्रिक देवी हैं जो अपने भक्तों को सच्चे दिल से स्वीकार करती हैं। और उन्हें सही राह दिखाती है और हमेशा उनके साथ रहती है मोहिनी माता डर को खत्म करती हैं,
अगर उन्हें सच्चे दिल से पुकारा जाए तो वह जरूर आती है। वह साधारण नहीं, एक बहुत गुप्त लेकिन करुणामयी देवी हैं।उनका नाम लेने से भी नकारात्मक ऊर्जा दूर हो सकती है।
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