
प्रस्तावना:-
माता मातंगी दस महाविद्याओं में नौवीं देवी हैं, जो वाणी, संगीत और तांत्रिक विद्या की अधिष्ठात्री हैं।इनका रंग हरित (हरा) होता है और वे वीणा धारण कर शब्द की शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। उन्हें “तांत्रिक सरस्वती” कहा जाता है, जो सम्मोहन और वाक् सिद्धि प्रदान करती हैं।माता मातंगी, माता पार्वती का ही रहस्यमयी तांत्रिक रूप मानी जाती हैं।
माता मातंगी कैसे प्रकट हुई:-
माता मातंगी matangi mata की उत्पत्ति की कथा अत्यंत रहस्यमयी और तांत्रिक परंपराओं से जुड़ी हुई है। वह दस महाविद्याओं में से एक हैं और उन्हें “तांत्रिक सरस्वती” भी कहा जाता है। उनकी उत्पत्ति की प्रमुख कथा इस प्रकार है:
एक बार भगवान शिव और माता पार्वती ने एक विशेष भोज का आयोजन किया। इस दिव्य भोज में शास्त्रों और तंत्र की अद्भुत शक्ति समाहित थी। जब यह भोज समाप्त हुआ, तब उस भोज से गिरे अन्न के अंश और जूठन (उच्छिष्ट) को लेने एक रूप प्रकट हुआ – वह रूप अत्यंत सुंदर, ज्ञानमयी, और रहस्य से भरा हुआ था। यह ही रूप था माता मातंगी का।
उन्हें “उच्छिष्ट चण्डाली” भी कहा जाता है, क्योंकि वे उन चीजों को भी दिव्यता प्रदान करती हैं जिन्हें सामान्यतः अपवित्र समझा जाता है। वह चांडाल कन्या के रूप में उभरीं, और उन्होंने शास्त्रों, वाणी, संगीत, कला और तंत्र के रहस्यों को धारण किया।
माता मातंगी matangi mata की उत्पत्ति यह दर्शाती है कि दिव्यता केवल पवित्रता में ही नहीं, बल्कि अपवित्र माने जाने वाले में भी हो सकती है, यदि दृष्टि तांत्रिक और आध्यात्मिक हो। वे यह सिखाती हैं कि ज्ञान, संगीत, कला और वाणी हर अवस्था में पूज्य हो सकती है।
माता मातंगी नाम का अर्थ:-
माता मातंगी Mata matangi के नाम का अर्थ है “ज्ञान की देवी”, “बुद्धि और शिक्षा का प्रतिनिधित्व करने वाली देवी”। मातंगी देवी को ज्ञान, कला, वाणी और अलौकिक शक्तियों की देवी माना जाता है।
माता मातंगी के अन्य नाम:-
माता मातंगी Matangi Mata जो दस महाविद्याओं में एक प्रमुख तांत्रिक देवी हैं, उनके कई अन्य नाम हैं जो उनके विभिन्न रूपों, गुणों और शक्तियों को दर्शाते हैं। ये नाम उन्हें वैदिक, तांत्रिक और लोक परंपराओं में अलग-अलग संदर्भों में वर्णित करते हैं।
1.राजमातंगी: राजा की अधिपति शक्ति और कल के स्वामिनी
2.वन दुर्गा: वनों में निवास करने वाली देवी
3.श्यामला: श्याम वर्ण वाली, सौंदर्य और कल की देवी
4.सुमुखी: सुंदर मुख वाली ,वाणी की देवी
5.वर्णमाला देवी: वर्णों की देवी ,भाषा और वाणी की नियंत्रित करने वाली
6.वीणा वादिनी: वीणा बजाने वाली देवी
7.उच्छिष्ट चण्डाली: तांत्रिक रूप जो जुठन से भी दिव्यता प्रदान करती है।
“राजमातंगी” को विशेष रूप से उन साधकों द्वारा पूजा जाता है जो राजनीति, प्रशासन, कला, वाणी या संगीत में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं।
“उच्छिष्ट चण्डाली” का रूप अत्यंत रहस्यमय और शक्तिशाली होता है, जो तांत्रिक मार्ग के साधकों के लिए विशेष होता है।”राजमातंगी” को विशेष रूप से उन साधकों द्वारा पूजा जाता है जो राजनीति, प्रशासन, कला, वाणी या संगीत में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं।

माता मातांगी के रूप का वर्णन:-
माता मातंगी mata matangi का रूप अत्यंत आकर्षक, रहस्यमयी और तांत्रिक शक्तियों से भरपूर होता है। वे दस महाविद्याओं में नौवीं देवी हैं और उन्हें “तांत्रिक सरस्वती” कहा जाता है। उनका स्वरूप न केवल सौंदर्य और ज्ञान का प्रतीक है, बल्कि वाणी, कला और सम्मोहन की शक्ति का भी स्रोत है।
1. त्वचा का रंग –हरितवर्णा (हरा रंग)
माता मातंगी matangi mata का रंग गहरा हरा (हरित वर्ण) होता है, जो प्रकृति, संगीत और ऊर्जा का प्रतीक है। यह रंग उन्हें अन्य देवियों से विशिष्ट बनाता है, और उनके सम्मोहन तथा तांत्रिक प्रभाव को दर्शाता है।
2. हाथों में वीणा-
उनके दो या चार हाथ होते हैं, जिनमें से एक जोड़ा वीणा बजा रहा होता है। वीणा उनका मुख्य वाद्ययंत्र है, जो वाणी, संगीत, गायन, काव्य और कला की अधिष्ठात्री के रूप में उनका स्थान दर्शाता है|
3. शांत और सौम्य मुद्रा-
उनका चेहरा अत्यंत शांत, सुंदर और मोहक होता है।वे साधकों को आकर्षित करती हैं, और उनकी दृष्टि में सम्मोहन और करुणा दोनों का संयोग होता है।
4. वाहन – तोता (शुक)
माता मातंगी का वाहन एक तोता है, जो वाणी और प्रेम का प्रतीक है। तोता उनकी संवाद की शक्ति और मधुरता को दर्शाता है।
5. वस्त्र और आभूषण-
वे सुंदर नीले-हरे रेशमी वस्त्र धारण करती हैं, और उनका शरीर रत्नजटित आभूषणों से अलंकृत होता है। उनके गले में मालाएं, कानों में कुंडल, और मस्तक पर चंद्रबिंदु होता है।
6.आसन –
रत्नजटित सिंहासन या कमलवे या तो रत्नजटित सिंहासन पर विराजमान होती हैं या कमलासन पर बैठी होती हैं, जो उनकी दिव्यता और सौंदर्य को दर्शाता है।
माता मातांगी की तांत्रिक विद्या:-Matangi Mata sadhana-Matangi mata mantra-
माता मातंगी की तांत्रिक विद्या अत्यंत रहस्यमयी, प्रभावशाली और गूढ़ होती है। उन्हें “उच्छिष्ट चण्डाली”, “तांत्रिक सरस्वती”, और “वाक् सिद्धि की अधिष्ठात्री देवी” कहा जाता है। उनकी तांत्रिक विद्या का मूल लक्ष्य है वाणी, सम्मोहन, आकर्षण, वशीकरण, और तांत्रिक सिद्धियाँ प्राप्त करना।
मुख्य तांत्रिक शक्तियाँ और उपयोग:-
1.वाक् सिद्धि :
जिससे साधक जो भी बोले, वह प्रभावशाली और सत्य साबित हो। भाषण, राजनीति, काव्य, संगीत, लेखन के क्षेत्र में विशेष लाभ।
2.उच्छिष्ट तंत्र:
Mata matangi को जूठन (उच्छिष्ट) से पूजा जाता है। यह साधना तांत्रिक रूप से बहुत शक्तिशाली मानी जाती है और साधक को सामान्य सामाजिक मर्यादाओं से ऊपर उठाकर दिव्यता की ओर ले जाती है।
3.सम्मोहन और वशीकरण:
Mata matangi की साधना से साधक की वाणी और दृष्टि में सम्मोहन उत्पन्न होता है। वह लोगों को अपनी बात से आकर्षित करने में सक्षम होता है।
4.कला और संगीत में सिद्धि:
गायन, वादन, लेखन, चित्रकला आदि में चमत्कारिक उन्नति होती है।
Matangi mata की तांत्रिक साधना अत्यंत प्रभावशाली और संवेदनशील होती है। इसे बिना गुरु या सिद्ध तांत्रिक के मार्गदर्शन के करना अनुचित और खतरनाक हो सकता है।
5.मातंगी की तांत्रिक विद्या का उद्देश्य:
साधक को सामाजिक सीमाओं से ऊपर उठाकर पूर्ण आत्म-प्रकाश की ओर ले जाना।
शब्दों और ध्वनि के माध्यम से ब्रह्मज्ञान को प्राप्त करना।समाज द्वारा उपेक्षित प्रतीकों (जैसे उच्छिष्ट) में छिपी दिव्य ऊर्जा को जागृत करना।
माता की रहस्यमई कहानियां:-Matangi mata-
माता मातंगी matangi mata से जुड़ी रहस्यमयी और तांत्रिक कहानियाँ अत्यंत रहस्यपूर्ण, गूढ़ और शक्ति से भरी हुई होती हैं। ये कथाएँ केवल धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि साधना, तंत्र और आध्यात्मिक जागरण के मार्ग पर गहरा प्रभाव डालती हैं। नीचे कुछ प्रमुख रहस्यमयी कहानियाँ प्रस्तुत हैं:
1.उच्छिष्ट चण्डाली की उत्पत्ति की कथा:-
एक बार देवताओं ने देवी पार्वती से प्रार्थना की कि वे उन्हें ऐसी शक्ति दें जो वाणी और मन को वश में कर सके। तब देवी पार्वती ने अपनी एक तांत्रिक और रहस्यमयी छाया उत्पन्न की, जो एक चाण्डाल कन्या के रूप में प्रकट हुई।यह कन्या उच्छिष्ट (जूठन) ग्रहण कर रही थी, परंतु उसमें दिव्य तेज था।
देवताओं ने पहले उसका तिरस्कार किया, परंतु जैसे ही उसने वाणी का उच्चारण किया, वे सम्मोहित हो गए। यह कन्या ही मातंगी थी। वह संदेश देती हैं कि दिव्यता जाति, शुद्धता या सामाजिक नियमों की मोहताज नहीं होती, बल्कि साधना और तत्त्वज्ञान से जागृत होती है।
2. ब्रह्मा की सभा में मातंगी की परीक्षा:-
एक बार ब्रह्मा की सभा में सभी देवता और विद्वान एकत्रित थे। तब एक नीली हरी त्वचा वाली कन्या सभा में आई और बोली कि वह सभी को तर्क और वाणी में हरा सकती है। ब्रह्मा ने उसकी परीक्षा ली, परंतु वह कन्या (मातंगी) इतने सुंदर शब्दों और संगीत से बोलीं कि सभा के सभी देवता मंत्रमुग्ध हो गए। तब ब्रह्मा ने कहा:
“तुम न केवल वाणी की अधिष्ठात्री हो, बल्कि तुम्हारा स्वरूप देवी सरस्वती से भी अधिक गूढ़ और तांत्रिक है।”
3.श्मशान की रहस्यमयी साधना:-
एक तांत्रिक साधक श्मशान में माता मातंगी की उच्छिष्ट साधना कर रहा था। जब उसने रात्रि के मध्य मंत्र जपते हुए माता का ध्यान किया, तो उसे एक तोते के रूप में चमकता हुआ हरा प्रकाश दिखाई दिया। वह प्रकाश माता का सम्मोहनमयी रूप था।
माता प्रकट होकर बोलीं:
“जो मेरी उपेक्षा करेगा, वह अपनी वाणी खो देगा; जो मुझे अपनाएगा, वह शब्दों का स्वामी होगा।
”उस साधक ने वाक् सिद्धि प्राप्त की और महान कवि बन गया।
4.कवि कालिदास और मातंगी की कृपा:-
एक जनश्रुति यह भी कहती है कि महाकवि कालिदास ने जब विद्वता प्राप्त करने के लिए तांत्रिक मार्ग अपनाया, तब उन्होंने मातंगी की साधना की थी।
Mata matangi की कृपा से उन्हें न केवल ज्ञान मिला, बल्कि उनकी कविता में ऐसा सम्मोहन उत्पन्न हुआ कि श्रोतागण अभिभूत हो जाते थे।
5.मातंगी और तोते की कथा:-
एक साधक ने माता mata matangi की पूजा के लिए तोते को पकड़ने की कोशिश की। वह तोता भागते-भागते एक विशेष वृक्ष पर बैठा और तोते के मुख से “ह्रीं ऐं स्वाहा” की ध्वनि निकली।
साधक समझ गया – यह कोई साधारण तोता नहीं, बल्कि माता की माया का प्रतीक है। जब उसने वहीं ध्यान किया, तो उसे माता का साक्षात् रूप अनुभव हुआ।

माता मातंगी और माता पार्वती का संबंध:-
माता मातंगी matangi mata और माता पार्वती का संबंध अत्यंत गहरा, तांत्रिक और आध्यात्मिक रूप से रहस्यमय है। मातंगी देवी, देवी पार्वती का ही एक विशिष्ट तांत्रिक रूप हैं, जो दस महाविद्याओं में से एक मानी जाती हैं। इस संबंध को समझने के लिए हमें देवी के विभिन्न रूपों और शक्ति के स्तरों को ध्यान में रखना होता है।
1.मातंगी – पार्वती का तांत्रिक रूप:-
माता मातंगी matangi mata को देवी पार्वती की “तांत्रिक सरस्वती” कहा जाता है। पार्वती का सौम्य रूप जहाँ गृहस्थ जीवन, प्रेम और करुणा का प्रतीक है, वहीं मातंगी शब्द, वाणी, तंत्र और उच्छिष्ट शक्ति का प्रतिनिधित्व करती हैं। दुर्गा सप्तशती और तांत्रिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि जब देवी ने अपनी दश महाविद्याओं को प्रकट किया, तो उनमें से एक रूप मातंगी था – जो ज्ञान, कला, सम्मोहन और वाणी की परम शक्तिशाली तांत्रिक देवी बनीं।
2.छाया रूप की उत्पत्ति:-
कुछ ग्रंथों में कहा गया है कि देवी पार्वती ने एक बार अपनी छाया से एक चांडाल कन्या उत्पन्न की, जो हरितवर्णा और शब्द की अधिष्ठात्री बनी। यही छाया मातंगी देवी थी।यह संकेत करता है कि मातंगी, पार्वती की छाया शक्ति या गूढ़ अंतर्मन की शक्ति हैं।
3.पार्वती का वाममार्ग और मातंगी:-
पार्वती का तांत्रिक पक्ष वाममार्ग (बाएं हाथ का मार्ग) से जुड़ा होता है, जिसमें सीमाओं को पार करने की, उच्छिष्ट को स्वीकार करने की शक्ति होती है। मातंगी उसी वाममार्ग की सिद्ध देवी हैं, जो सामाजिक नियमों के बाहर जाकर अंतर्ज्ञान और ऊर्जा को जागृत करती हैं।
4.शक्ति के स्तर पर एक ही तत्व:-
दोनों ही आदिशक्ति के भिन्न-भिन्न रूप हैं — पार्वती जीवन को सृजनात्मक दृष्टि से देखती हैं, जबकि मातंगी उसे ध्वनि और चेतना के स्तर पर जगाती हैं।

माता मातंगी के 10 प्रमुख मंदिर, उनकी विशेषताएं और स्थान — जहाँ उनकी साधना से वाक् सिद्धि, तांत्रिक ज्ञान और आत्मिक उन्नति प्राप्त होती है:-Matangi mata temple-
1. मातंगी मंदिर – काशी (वाराणसी), उत्तर प्रदेश
📍स्थान: विश्वनाथ गली के पास
🔱 विशेषता:यह मंदिर काशी विश्वनाथ मंदिर के पास स्थित है।यहाँ माता मातंगी को तांत्रिक लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है।वाणी सिद्धि, विद्या और तंत्र साधना के लिए यह मंदिर विशेष रूप से प्रसिद्ध है।
2. श्री राजराजेश्वरी मातंगी मंदिर – चेन्नई, तमिलनाडु
📍 स्थान: नंगनल्लूर
🔱 विशेषता:दक्षिण भारतीय शैली में बना भव्य मंदिर।माता को यहाँ कला, संगीत और ज्ञान की देवी के रूप में पूजा जाता है।मंदिर में माता के हाथ में वीणा और तोते के साथ भव्य मूर्ति स्थापित है।
3. मातंगी पीठ – कामाख्या, असम
📍 स्थान: नीलाचल पर्वत, कामाख्या मंदिर परिसर
🔱 विशेषता:दस महाविद्याओं की साधना के लिए प्रसिद्ध स्थान।यहाँ मातंगी का एक गुप्त और शक्तिशाली स्थान स्थित है।तांत्रिक साधकों के लिए यह स्थान अत्यंत ऊर्जा से परिपूर्ण माना जाता है।
4. मातंगी देवी मंदिर – उज्जैन, मध्य प्रदेश
📍 स्थान: महाकाल मंदिर के समीप
🔱 विशेषता:यह मंदिर गुप्त तांत्रिक शक्तियों से जुड़ा हुआ है।नवरात्रि और शिवरात्रि के समय यहाँ विशेष साधनाएँ होती हैं।मातंगी यहाँ साधकों को दिव्य वाणी और ज्ञान का आशीर्वाद देती हैं।
5. मातंगी मंदिर – त्रिची, तमिलनाडु
📍 स्थान: श्रीरंगम के पास
🔱 विशेषता:यह मंदिर मातंगी के संगीत रूप को समर्पित है।यहाँ संगीतज्ञ और कलाकार विशेष पूजा करने आते हैं।माता की पूजा से सुर, लय और ताल में सिद्धि मानी जाती है।
6. मातंगी मंदिर – बेलगाम, कर्नाटक
📍 स्थान: उत्तर कर्नाटक क्षेत्र
🔱 विशेषता:ग्रामीण अंचल में स्थित लेकिन शक्तिशाली ऊर्जा केंद्र।यहाँ माता की पूजा पारंपरिक तांत्रिक विधि से होती है।लोक कलाओं और ग्रामीण जीवन से जुड़ी देवी मानी जाती हैं।
7. मातंगी शक्तिपीठ – वृंदावन, उत्तर प्रदेश
📍 स्थान: यमुना किनारे
🔱 विशेषता:भक्ति और तंत्र का संगम स्थान।यहाँ माता राधा के रूप में मातंगी की झलक मिलती है।संगीत साधना के लिए यहाँ विशेष अनुष्ठान होते हैं।
8. मातंगी देवी मंदिर – नासिक, महाराष्ट्र
📍 स्थान: पंचवटी क्षेत्र
🔱 विशेषता:श्रीराम के वनवास स्थल के पास स्थित मंदिर।वाणी और व्रत सिद्धि के लिए श्रद्धालु यहाँ पूजा करते हैं।माता का स्वरूप अत्यंत सौम्य और करुणामयी है।
9. मातंगी माता मंदिर – हैदराबाद, तेलंगाना
📍 स्थान: पुराना शहर
🔱 विशेषता:मंदिर में माता की दुर्लभ प्रतिमा स्थापित है।यहाँ सप्तमी और नवमी को विशेष तांत्रिक पूजन होता है।मंदिर के पुजारी भी गूढ़ तांत्रिक विधियों में निपुण होते हैं।
10. मातंगी मंदिर – अल्मोड़ा, उत्तराखंड
📍 स्थान: कालीमठ के पास
🔱 विशेषता:पहाड़ी इलाका होने के कारण साधना हेतु एकांत व शांत वातावरण।देवी की पूजा यहाँ विशेष मंत्रों और यंत्रों द्वारा की जाती है।साधकों के लिए यह आत्मिक उन्नति का अत्यंत लाभकारी स्थल माना गया है।
माता मातंगी की साधना विधि:-
1.साधना के लिए रात्रि काल, विशेषकर कृष्ण पक्ष की दशमी या अमावस्या उत्तम मानी जाती है।
2. साधक को स्नान करके हरे या काले वस्त्र पहनने चाहिए और एकांत स्थान पर आसन ग्रहण करना चाहिए।
3. पूजा स्थान को हरे पुष्पों, दूर्वा और सुगंधित धूप से सजाना चाहिए।
4. देवी की मूर्ति या यंत्र को स्थापित करके दीपक जलाएं और मातंगी को पंचामृत से स्नान कराएं।
5.भोग में विशेष रूप से नीम की पत्तियाँ, हरी मिठाई और पान अर्पित करें।
6. माता मातंगी का बीज मंत्र:“ॐ ह्रीं ऐं ग्लौं हुं मातंग्यै फट् स्वाहा” – इसका 108 या 1008 बार जाप करें
7. जप के लिए हरे चंदन या रुद्राक्ष की माला का प्रयोग करें।
8. साधना के समय एकाग्रता बनाए रखे
9. साधना का उद्देश्य वाणी सिद्धि, कला, संगीत और सम्मोहन शक्ति प्राप्त करना हो ।
निष्कर्ष:-
माता मातंगी के जीवन और स्वरूप से हमें गहरी आध्यात्मिक, तांत्रिक और सामाजिक शिक्षा मिलती है। वे पारंपरिक सीमाओं को तोड़कर चेतना, वाणी, ज्ञान और आंतरिक शक्ति की देवी के रूप में प्रकट होती हैं।
1.वाणी ही ब्रह्म है – बोलने की शक्ति को साधो:माता मातंगी वाणी, भाषा और संगीत की देवी हैं।
2.सामाजिक भेदभाव से ऊपर उठो:
मातंगी एक चांडाल कन्या के रूप में प्रकट होती हैं – जो समाज के सबसे निम्नवर्ग मानी जाती हैं फिर भी वे ब्रह्मविद्या की अधिष्ठात्री हैं।
3.गुप्त शक्ति, गुप्त साधना से जागती है मातंगी की पूजा गोपनीय, उच्छिष्ट, तांत्रिक होती है।
4.मातंगी देवी पारंपरिक नियमों से बाहर जाकर उच्छिष्ट (जूठन) को भी स्वीकार करती हैं, और वहीं से शक्ति जागृत करती हैं।
5.कला, संगीत और ज्ञान – आत्मा की उच्चतम भाषा है;माता मातंगी के हाथों में वीणा होती है, जो संगीत, लय, सौंदर्य और अभिव्यक्ति की प्रतीक है।
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